कोरबा। मुख्य मार्गों पर जाम लगने की समस्या से छुटकारा मिलता नजर नही आ रहा है। कुसमुंडा में फोरलेन सडक़ नमूना बनकर रह गई है तो दीपका क्षेत्र में सडक़ की दुर्दशा और वाहनों के दवाब से अजीब स्थिति बनी हुई है। दीपका बिलासपुर मार्ग पर आवाजाही करने वाले लोग दुश्वारियों से जूझने को मजबूर है।
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के गेवरा दीपका माइंस के द्वारा रोड़ सेल में दिए जा रहे कोयले की बड़ी मात्रा ने इस रास्ते पर भारी वाहनों का दवाब बढ़ा दिया है। रोजाना कई हजार वाहनों की आवाजाही कोयला लेकर हो रही है। हाल में ही कुसमुंडा ने 2 लाख टन कोयला का आक्सन किया है। गेवरा और दीपका का अनुपात इससे कहि ज्यादा है। आंकलन है कि फरवरी और मार्च तक सडक़ों पर दवाब ज्यादा होगा और सडक़ों पर जाम लगने के मामले भी बढ़ेंगे। वर्तमान में कुसमुंडा से लेकर दीपका और उसके आगे की रोड कनेक्टविटी जाम के कारण बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। लोग बताते है इस इलाके में मुख्य मार्ग पर कई किलोमीटर लम्बा जाम लगने की समस्या कैंसर जैसी हो गई है। परेशानी तब बढ़ जाती है जब किसी मरीज को अस्पताल ले जाना होता है। अनेक मौकों पर जाम में एम्बुलेंस फस जाया करती हैं। ऐसे में पीडि़त को संजीवनी मिलने में देरी होती है और प्राणों पर संकट गहरा हो जाता है। कोयलांचल से जुड़ी हुई समस्या काफ़ी पुरानी है। नागरिक इससे त्रस्त है। उनकी पीड़ा हरने के लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ओर से काम करने के बजाय सिर्फ आसमानी दावे ही किए जा रहे है। इनसे आखिर जनता का भला कैसे हो सकेगा।