
निचली सतह पर आ रहे बदलाव से चिंता
कोरबा। कोयला खदानों की अधिकता वाले कोरबा जिले में आए दिन यहां-वहां जमीन धंसने के मामले सामने आ रहे हैं। संरक्षित जनजाति पंडो समुदाय की बस्ती के नजदीक ऐसी ही एक घटना हुई। यहां पर लगभग एक एकड़ के हिस्से में पांच फीट तक जमीन धंस गई। लेकिन घटनाक्रम से इलाके में दहशत का वातावरण बना हुआ है। सूचना मिलने पर एसईसीएल के अधिकारियों ने यहां पहुंचकर संज्ञान लिया। प्रशासन को इस बारे में अवगत कराया गया।
जिला मुख्यालय से लगभग 100 किमी दूर यह घटना पोड़ी उपरोड़ा सबडिविजन के अंतर्गत आने वाले बीजाडांड पंचायत से जुड़ी है। यहां पर स्थित पंडो समुदाय की बसाहट जिस क्षेत्र में है, वहां रात्रि को जमीन धंसने का मामला सामने आया। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड चिरमिरी क्षेत्र की विजय वेस्ट माइंस का इलाका इससे लगा हुआ है। राजस्व के मामले में यह क्षेत्र कोरबा जिले से संबंधित है। बताया गया कि लगभग एक दशक से क्षेत्र में कोयला दोहन की प्रक्रिया एसईसीएल की ओर से की जा रही है। भूमिगत खदान का संचालन एसईसीएल यहां पर कर रहा है। ऐसी खदानों में कोयला निकासी के लिए जो सिस्टम तय होता है उसके हिसाब से कालांतर में कई प्रकार के संरचनात्मक बदलाव आते हैं और जमीन धंसने (डिक्लीयेरिंग) जैसी घटनाएं होती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लगभग एक एकड़ जमीन धंसने का जो मामला हुआ वह गोदहिया पंडो बस्ती के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। स्थानीय लोगों ने बताया कि मध्य रात्रि को बीजाडांड की इस बस्ती में जमीन धंसने का जो मामला सामने आया उसके नतीजन बड़े हिस्से में मोटी दरारें पैदा हो गई। इसे अब तक की पहली घटना बताया जा रहा है जिसके असर से स्थानीय लोग काफी चिंतित हैं जिन्होंने आज सुबह इस नजारे को देखा। यह तो अच्छा हुआ कि संबंधित क्षेत्र में किसी प्रकार की फसल लगाने की जोखिम जनजाति समुदाय के किसानों ने नहीं ली थी वरना उन्हें लेने के देने पड़ जाते। आज सुबह यहां के लोगों ने अपने मवेशियों को भेजने की व्यवस्था की तब उनकी आंखें इस नजारे को देखकर फटी की फटी रह गई। खबर आम होने के साथ यह सब देखने के लिए आसपास के लोगों की भीड़ यहां पर जुट गई। इसके बाद एसईसीएल रानीअटारी प्रोजेक्ट और चिरमिरी एरिया को अवगत कराया गया। मामला सीधे तौर पर गंभीर खतरों से जुड़ा हुआ था इसलिए अधिकारियों ने मौके पर पहुंच बनाई और यहां का जायजा लिया।
… तो होता गंभीर नुकसान
बीजाडांड क्षेत्र में हुए घटनाक्रम को लेकर लोग काफी चिंता में हैं। वजह यह है कि उनकी जानकारी में अब तक इस तरह का मामला पहली बार हुआ। जो कुछ यहां पर नजर आ रहा है उसने लोगों को भयभीत कर दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सुनसान क्षेत्र यह घटना रात्रि में हुई। इसी इलाके में ग्रामीणों के मवेशी चरने के लिए जाते हैं। ऐसे में अगर दिन में घटना हुई होती तो गंभीर नुकसान होना तय था।
लगातार खनन से होती है घटनाएं
भू-धंसान को लेकर माना जाता है पृथ्वी की सतह का धीरे-धीरे या अचानक धंसना। भू-धंसान प्राकृतिक और मानवीय दोनों कारणों से हो सकता है। भौगोलिक परिस्थितियों का गहनता से अध्धयन करने वाले जानकार बताते है कि भू-धंसान अक्सर पानी, तेल, प्राकृतिक गैस या खनिज संसाधनों की पम्पिंग, फ्रैकिंग (टूटने) या खनन गतिविधियों के कारण होता है।