
आईटी कॉलेज मतगणना स्थल पर तीन लेयर की सुरक्षा
कोरबा। लगभग एक महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों की असली तस्वीर सामने आते-आते शाम होना तय है। सामान्य लोकसभा सीट कोरबा पर कांग्रेस की मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत की बढ़त 8 हजार के आसपास है। पड़ोसी जांजगीर सीट पर भाजपा की कमलेश जांगड़े ने दोपहर तक लगभग 35 हजार की बढ़त बना ली थी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए केवल कोरबा ही उम्मीद दिखा रही है जबकि बाकी 10 सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन पहले की तरह होता दिखाई दे रहा है।
तीसरे चरण में 7 मई को कोरबा और जांजगीर सीट के लिए मतदान हुआ था। कोरबा में 74 प्रतिशत और जांजगीर में इससे कम मतदान हुआ था। मतदान के प्रतिशत को लेकर कई प्रकार की अटकलें लगाई जा रही थी और इस आधार पर हार-जीत का आंकलन हो रहा था। 27 दिन की लंबी प्रतीक्षा के बाद आज सुबह से निर्वाचन आयोग के निर्देश पर प्रशासन के द्वारा की गई पुख्ता तैयारी के बीच कोरबा के झगरहा स्थित आईटी कॉलेज में मतगणना सुबह 8 बजे शुरू हुई। मतगणना स्थल पर प्रशासन की देखरेख में तीन लेयर की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की गई। मतगणना कर्मियों को विशेष परिचय पत्र दिए गए। कक्ष के बाहर राजनीतिक दलों के अधिकृत एजेंट की उपस्थिति दर्ज हुई। पोस्टल बैलेट की गिनती सबसे पहले हुई। कांग्रेस के लिए यहां से ही अनुकूलता रही। ईवीएम पर पड़े मतों की गिनती का काम 8.30 बजे प्रारंभ हुआ। कोरबा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कोरबा, जीपीएम, बैकुंठपुर और एमसीबी जिले की 8 विधानसभा सीटों में अधिकांश चरणों में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत ने बढ़त बनाए रखी। बीच में कुछ चरण ऐसे आए जब भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडे को सरगुजा संभाग की विधानसभा सीटों से बढ़त प्राप्त हुई। उन्होंने कांग्रेस की लीड को एक समय आधा भी कर दिया लेकिन इसके बाद में अंतर बढ़ता चला गया। उधर जांजगीर लोकसभा से भाजपा की कमलेश जांगड़े ने अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ा और सशक्त प्रदर्शन कर उदाहरण प्रस्तुत किया। उनके मुकाबले कांग्रेस ने यहां से पिछली राज्य सरकार में नगरीय निकाय मंत्री रहे डॉ. शिव डहरिया को उतारा है। कमलेश ने इस सीट पर शुरुआती चरण से ही बढ़त बनाए रखी जो लगातार जारी है। जबकि एक भी मौके पर कांग्रेस प्रत्याशी को बढ़त बनाने का अवसर नहीं मिला।
समर्थकों की भावभंगिमाएं बदलती रहीं मौके पर
मतगणना स्थल से पर्याप्त दूरी पर राजनीतिक दलों के टेंट लगे हुए थे जहां पर उन्होंने पल-पल के अपडेट के लिए व्यवस्था कर रखी थी। कई प्रकार की सुविधाएं कार्यकर्ताओं के लिए यहां मुहैया कराई गई। हर चरण की जानकारी सामने आने के साथ समर्थकों के चेहरे की भावभंगिमाएं भी बदलती रही। कांग्रेस खेमा को इस दौरान खुश देखा गया जबकि भाजपा कार्यकर्ता मायूस स्थिति में दिखे। हालांकि बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि बचे हुए चरणों का उन्हें इंतजार है।
खोमचा कारोबारी हुए खुश
मतगणना स्थल के मुख्य प्रवेश द्वार से बाहर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ सुबह से लगी रही जो यहां की स्थिति जानने को लालायित थी। उनकी जररूत पूरा करने के लिए नास्ते की दुकानें लगी रहीं। अच्छे कारोबार से कारोबारी खुश दिखे।
कोरबा को छोड़ प्रदेश में हर कहीं भाजपा आगे
लोकसभा चुनाव को लेकर दोनों प्रमुख पार्टियों की ओर से जो दावे किए गए उसमें आखिरकार कांग्रेस को मायूस होना पड़ा। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कोरबा की सीट बचा पाने में कांग्रेस का प्रयास सफल हो सकता है। छत्तीसगढ़ की अन्य 10 सीटों में कांग्रेस मुकाबले से काफी पीछे है। शुरुआत से ही उसका प्रदर्शन इन सभी 10 सीटों पर लचर रहा है। रायपुर लोकसभा सीट पर स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की बढ़त 1 लाख के आसपास हो गई है। दूसरे नंबर पर रायगढ़ सीट से भाजपा प्रत्याशी राधेश्याम राठिया हैं जो 85 हजार वोट से आगे चल रहे हैं। वहीं कांग्रेस लोकसभा सीट से भाजपा के भोजराम नाथ ने 30 हजार से ज्यादा की बढ़त बनाए रखी है। सरगुजा में भाजपा के चिंतामणी महराज की लीड 42 हजार से उपर की है। वहीं जांजगीर लोकसभा सीट पर भाजपा की कमलेश जांगड़े ने 33900 वोट की बढ़त जारी रखी है। राजनांदगांव लोकसभा सीट में भाजपा के संतोष पांडे 8 हजार मतों से और महासमुंद में भाजपा की रूप कुमारी चौधरी 6 हजार वोट से आगे चल रही हैं।
आखिर किस फैक्टर ने किया काम, अब इस पर मंथन
दोपहर तक जिस तरह की परिस्थितियां मतगणना से तैयार हुई है उसके साथ ही छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के हालिया प्रदर्शन पर मंथन भी शुरू हो गया है। अब तक के नतीजों को लेकर राजनीति के जानकारों ने विश्लेषण करना भी प्रारंभ कर दिया है। छत्तीसगढ़ में शुरू से ही भाजपा आश्वस्त थी कि वह लगभग सभी सीटों को जीतने की स्थिति में है जबकि कांग्रेस का दावा 4 से 5 सीटों को जीतने को लेकर हो रहा था। छत्तीसगढ़ में सत्ता संभाल रही भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों और अपने 100 दिन के कार्यकाल के माध्यम से जनहित के लिए किये गए कार्यों के आधार पर लोकसभा चुनाव को लड़ा। वहीं कांग्रेस पूरी तरह आश्वस्त थी कि गरीबों के खाते में हर साल एक लाख रुपए डालने और जातिगत जनगणना सहित कई मुद्दों पर उसे अच्छा खासा लाभ हो सकेगा। दोनों पार्टियों ने इन्हीं मुद्दों को हर कहीं जमकर उभारने की कोशिश की। इन सबसे परे नतीजे जो अब तक सामने है और इनमें अंतिम समय तक बहुत ज्यादा फेरबदल होने की संभावना नजर नहीं आ रही है।