
कोरिया बैकुंठपुर। कोरिया जिले में शासन की योजनाएं सफेद हाथी साबित हो रही है विभाग के द्वारा पैसों के बंदर बाट में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं जिससे शासन की सारी योजनाएं फेल हो रही हैं जिला प्रशासन के लाख समीक्षा के बावजूद भी विभाग कितनी सफाई से भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।
कोरिया जिले में जिला प्रशासन को चाहिए कि इन विभागों के जमीनी हकीकत को ध्यान देते हुए जांच की कार्यवाही करवानी चाहिए जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाया जा सके। जिले में कृषि विज्ञान केंद्र विभागीय भ्रष्टाचार का केंद्र बनकर रह गया है जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत फूलपुर के शंकरपुर में कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया ने महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत 15 एकड़ परत भूमि पर 41.27 लाख रुपए खर्च कर एक हजार नारियल के पौधे लगाए थे पर यहां एक भी पौधा जीवित नहीं बचा है। नारियल के पौधे जिस भूमि पर लगे थे वह जमीन पथरीली और टीलेे पर है। सिंचाई सुविधा के अभाव में पौधे मर गए। केवीके ने यहां बोर खनन भी करवाया था, लेकिन बोर में पानी नहीं मिला। झुमका बांध से पाइप कनेक्शन कर पानी लाने की योजना भी आगे नहीं बढ़ सकी। जिले में नारियल की मांग 12 महीने रहती है, इसे देखते हुए केवीके ने 6 से 8 माह के नारियल पौधों का रोपण किया था। पौधे बढऩे भी लगे थे, लेकिन सिंचाई सुविधा के अभाव में पौधे जीवित नहीं बचे। बता दें कि केवीके ने मनरेगा के तहत तीन अलग-अलग स्वीकृति में कार्य को पूरा किया था।
इसके तहत 15 एकड़ जमीन का समतलीकरण, फेंसिंग, गड्ढा खनन के साथ पौधे लगाए गए थे। विभागीय जानकारी के अनुसार 2020-21 में शुरू हुए कार्य में पहली प्रशासकीय स्वीकृति 13.09 लाख रुपए की मिली थी। इसमें श्रमिक लागत पर 8.38 लाख रुपए व सामग्री पर 4.71 लाख रुपए खर्च किए गए थे। दूसरी स्वीकृति 14.37 लाख थी। इसमें श्रमिक लागत 8.56 लाख व सामग्री पर 5.81 लाख रुपए लगे थे। वहीं तीसरी स्वीकृति 13.18 लाख रुपए थी। इसमें श्रमिकों को 3.55 लाख का भुगतान व सामग्री पर 9.63 लाख रुपए खर्च हुए।