नई दिल्ली। सर्वजन को साधकर सत्ता की मास्टर चाबी तलाशती रहीं मायावती को अब शायद इस लोकसभा चुनाव ने पूरी तरह से संदेश दे दिया है कि दलित वोटों की नींव पर टिकी उनकी पार्टी की राजनीतिक जमीन अब काफी खोखली हो चुकी है। उनकी यह चिंता अब उनके शब्दों के साथ बाहर आ रही है।
बहुजन समाज को आकर्षित करने का प्रयास
लोकसभा चुनाव के बाद से बसपा प्रमुख ने पार्टी कार्यकर्ताओं को जो भी संदेश दिया है, उसमें ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ की ही बात कही गई है, जबकि इससे पहले उनकी पार्टी की रणनीति और बसपा शासन का भी सूत्र ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ ही था। इससे माना जा रहा है कि वह अब अपने कोर वोटबैंक रहे बहुजन समाज को फिर से आकर्षित करने के प्रयास में हैं।
बसपा प्रमुख मायावती को मंगलवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। तब उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को दिए संदेश में बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय की बात तो की, लेकिन एक बार भी सर्वजन यानी सभी समाज-वर्गों का उल्लेख नहीं आया।