कोलकाता, २८ नवंबर ।
मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं को निशाना बनाना लगातार जारी है। सुप्रीम कोर्ट के वकील और अब बांग्लादेश के अटार्नी जनरल मुहम्मद असदुज्जमां ने बुधवार को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान इंटरनेशनल सोसायटी फार कृष्ण कांशसनेस (इस्कान) को धार्मिक कट्टरपंथी संगठन करार दिया। जस्टिस फराह महबूब और जस्टिस देबाशीष राय चौधरी की पीठ ने जब इस्कॉन और बांग्लादेश में उसकी गतिविधियों का ब्योरा मांगा तो असदुज्जमां ने कहा कि सरकार पहले से ही उनकी जांच कर रही है। मोनिरुद्दीन नामक वकील ने अदालत से बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने और हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी व जेल भेजने के बाद देशभर में हो रहे व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद चिट्टागोंग में धारा-144 लगाने की मांग की है।चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता व इस्कॉन से जुड़े पुंडरीक धाम के प्रमुख हैं।अटार्नी जनरल असदुज्जमां ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद हुई हिंसा की मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए मंगलवार को 32 वर्षीय अधिवक्ता सैफुल इस्लाम की चिट्टागोंग की अदालत में हुई हत्या का भी उल्लेख किया। हाई कोर्ट ने असदुज्जमां से गुरुवार को मामले में और जानकारी देने को कहा जिसमें इस्कॉन के पंजीकरण एवं उससे जुड़े लोगों का ब्योरा शामिल है। साथ ही यह भी बताना है कि सरकार ने उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई की है या नहीं। असदुज्जमां ने बाद में स्थानीय मीडिया को बताया कि सरकार घटना को गंभीरता से ले रही है और उचित कानूनी कार्रवाई करेगी।उन्होंने कहा कि यह संगठन पंजीकृत है या नहीं, इस संगठन को प्रतिबंधित किया जाएगा या नहीं, क्या कदम उठाए जाएंगे.. ये सब सरकार के नीतिगत फैसले हैं। सरकार विचार करेगी और उचित कानूनी कार्रवाई करेगी। स्वत: संज्ञान लेकर प्रतिबंध लगाने के लिए सभी चीजें अदालत के समक्ष आनी चाहिए।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के मद्देनजर इस्कॉन कोलकाता ने केंद्र सरकार से बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालने का आग्रह किया है ताकि ऐसी घटनाएं रुकें। इस्कॉन यह भी चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र इसका संज्ञान ले और चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई के लिए जो भी आवश्यक हो वह करे।अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कान) कोलकाता ने बुधवार को कहा कि उन्होंने बांग्लादेश में अपने भिक्षुओं (पुजारियों) और हिंदू वैष्णव धार्मिक संस्था के अन्य सदस्यों पर लगातार हो रहे हमलों के बारे में केंद्र को अवगत कराया है। इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास ने कहा कि बांग्लादेश में इस्कॉन पुजारी चिन्मय की गिरफ्तारी इस्कॉन के पुजारियों और भक्तों के साथ-साथ हिंदुओं सहित अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों पर लगातार हो रहे हमलों और उत्पीडऩ का उदाहरण है। यह नरसंहार से कम नहीं है।
इस्कॉन व रामकृष्ण मिशन जैसे अन्य हिंदू धार्मिक संगठनों के सदस्यों की गिरफ्तारी और इस्लामवादियों से मिल रही धमकियां पिछले तीन महीनों से जारी हैं। दास की गिरफ्तारी अब तक की नई घटना है। हमने विदेश मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय से हमलों से प्रभावित लोगों के जीवन और संपत्तियों को बचाने और उनकी रक्षा करने के लिए उचित कदम उठाने का आग्रह किया है।केंद्र सरकार से बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालने का आग्रह किया चिन्मय की गिरफ्तारी पर ढाका से मिला निराशाजनक जवाब राधारमण ने उन्होंने कहा कि चिन्मय की गिरफ्तारी पर बांग्लादेश सरकार का भारत को दिया गया जवाब बेहद निराशाजनक है। सरकार का जवाब ऐसा था मानो वे भारत सरकार को बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के बजाय अपने काम से काम रखने की सलाह दे रहे हों। उनके अनुसार चिन्मय को बांग्लादेश पुलिस ने इसलिए गिरफ्तार किया क्योंकि वे उस देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों और अत्याचारों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध का चेहरा बन गए थे।चिन्मय की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने बुधवार को बांग्लादेश उप उच्चायोग तक मार्च निकाला। सुवेंदु ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की।