
लंदन, १५ सितम्बर ।
भारत के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष तरलोचन सिंह ने शनिवार को कनाडा के शीर्ष सिख निकाय और सिख सांसदों से क्यूबेक में शीर्ष पदों पर आसीन सरकारी कर्मचारियों के पगड़ी पहनने पर प्रतिबंध के मुद्दे को उठाने का आग्रह किया।उन्होंने जत्थेदार अकाल तख्त, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के अध्यक्ष और कनाडा के सिख सांसदों से ब्रिटेन में अपने समकक्षों के उदाहरण का अनुसरण करने का आग्रह किया, जिन्होंने सिख प्रतीकों की रक्षा के लिए इसी तरह के कानून में संशोधन कराया।यह विवादास्पद कानून जून 2019 में अपनाया गया था, जिसे बिल 21 के नाम से जाना जाता है।
यह क्यूबेक प्रांत में काम के दौरान न्यायाधीशों, पुलिस अधिकारियों, शिक्षकों और सरकारी अधिकारियों को पगड़ी जैसे प्रतीक पहनने से रोकता है।फरवरी 2024 में क्यूबेक कोर्ट आफ अपील ने कानून की संवैधानिकता की चुनौतियों पर एक फैसले में प्रांत के विवादास्पद धर्मनिरपेक्षता कानून को बरकरार रखा था। कनाडा के दौरे पर आए सिंह ने कहा कि यह फ्रांस के कानून से भी अधिक गंभीर है, जहां सरकारी स्कूलों में सिख छात्रों के लिए पगड़ी पहनने पर प्रतिबंध है।उन्होंने कहा कि वह यह समझने में असफल रहे हैं कि कनाडा में संसद के सिख सदस्यों ने अब तक इसे समुदाय के खिलाफ एक बड़े भेदभाव के रूप में क्यों नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि हम दुनिया में एकमात्र धार्मिक समुदाय हैं, जहां हर किसी को लंबे बाल रखने की अनुमति है। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि क्यूबेक प्रांत के मुख्यमंत्री से इस मामले को फिर से शुरू करने और कानून में संशोधन का अनुरोध करें।

























