नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे आखिरी चरण की तरफ बढ़ रहा वैसे-वैसे ही नेताओं की भाषा बिगड़ने लगी है। यही वजह है कि अब निर्वाचन आयोग को दलों की तल्ख भाषा पर नसीहत देनी पड़ी। आयोग ने सियासी दलों से अच्छे उदाहरण पेश करने की अपील की। आज बात उन नेताओं की करेंगे, जिनके बयान लोकसभा चुनाव के दौरान विवादों में हैं… अमरावती से भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा ने हैदराबाद में चुनाव प्रचार के दौरान भड़काऊ बयान दिया था। 2013 में दिए गए अकबरुद्दीन ओवैसी के बयान पर राणा ने पलटवार किया था। राणा ने अपने बयान में कहा था कि असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई ने कहा था कि पुलिस को 15 मिनट के लिए हटा दें, मैं अकबरुद्दीन से कहना चाहती हूं कि आपको 15 मिनट लग सकते हैं, लेकिन हमें सिर्फ 15 सेकेंड लगेंगे। राणा के बयान पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि मैंने छोटे को बहुत समझा कर रखा है। मेरे सिवाय वह किसी के बाप की नहीं सुनता है। अभी दो दिन बचे हैं, कहो तो छोटे को छोड़ दूं? बोलो कहां आना है 15 सेकेंड में… लोकसभा चुनाव के दौरान ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सैम पित्रोदा ने एक नस्लीय टिप्पणी की थी। विवाद बढ़ने पर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। एक इंटरव्यू में पित्रोदा ने कहा था कि भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं। जहां पूर्व के लोग चीनी जैसे लगते हैं। पश्चिम क्षेत्र के लोग अरब और उत्तर के गोरों जैसे दिखते हैं। दक्षिण भारतीय अफ्रीकी जैसे लगते हैं। मगर हम सभी भाई-बहन हैं।