
, 0४ मार्च ।
फरीदाबाद। आतंकी अब्दुल रहमान ने पुलिस और लोगों की निगाह से बचने के लिए पाली गांव के खेतों में बने कोठरे को अपना ठिकाना बना रखा था। खेत पर बिजली की व्यवस्था नहीं होने से रात में अंधेरा रहता है। वहां जाने के लिए ठीक से रास्ता भी नहीं है। इसलिए आतंकी ने इस जगह को चुना और आराम से तीन दिन तक रहा।
सूत्रों की मानें तो ये आतंकी अयोध्या में राम मंदिर पर हमले की साजिश रच रहा था। हालांकि, एक-दो गांव वालों की उस पर नजर पड़ी थी, लेकिन शराबी समझकर उससे पूछताछ नहीं की। यदि गांव के लोग भी सजग होते तो उसे पहले ही दिन पकड़ा जा सकता था। वहीं उसके रहने की फरीदाबाद पुलिस और सीआइडी का खुफिया तंत्र को कोई जानकारी नहीं मिल सकी। यह भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। गांवों में पुलिस का मजबूत सूचना तंत्र होता है। चौकीदारों के अलावा कुछ मुखबिर भी होते है, जो आपराधिक व संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी तुरंत थाने में देते हैं। गुजरात और हरियाणा एसटीएफ की पलवल विंग ने रविवार को आतंकी को खेत से दबोचा। सवाल उठता है कि फरीदाबाद सीआइडी का निगरानी तंत्र क्या कर रहा था। किसी भी अधिकारी के पास इसका जवाब नहीं है।सवाल सीआइडी की सक्रियता पर भी है। एनआइटी क्षेत्र के अंतर्गत पाली पुलिस चौकी आती है। इस क्षेत्र में छह सीआइडी कर्मियों की ड्यूटी है, जिनकी जिम्मेदारी गांव से लेकर शहर की पल-पल की जानकारी एकत्र करके आला अधिकारियों को देनी होती है। सीआइडी का नेटवर्क और सूचना तंत्र दूसरे राज्यों में भी रहता है। इस मामले ने साफ कर दिया है कि फरीदाबाद सीआइडी और पुलिस का सूचना तंत्र मजबूत नहीं है।

























