
मनेंद्रगढ़। खेत में अंकुरित होते धान की फसल को पानी में डूबता देख किसान के सब्र का बांध टूटा और उसने तालाब की मेड़ को काटकर पानी को बहा दिया। अब शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के जुर्म में किसान के खिलाफ वन विभाग केस दर्ज कराने की तैयारी कर रही है। एमसीबी जिला अंतर्गत मनेंद्रगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत नारायणपुर के आश्रित ग्राम घुईपानी में कैंपा मद से नरवा योजना के तहत वन विभाग द्वारा 27 लाख की लागत से वन भूमि में अलग-अलग स्थानों पर 3 परकुलेशन टैंक (रिसाव तालाब) बनाए गए हैं। इनका निर्माण साल 2022 में गर्मी के मौसम में किया गया था, ताकि परकुलेशन टैंक का पानी जानवरों को पीने के लिए मिल सके। साथ ही इसके पानी का उपयोग किसान खेती-किसानी के लिए भी कर सकें। लेकिन तालाब निर्माण में अनियमितता बरते जाने के कारण घुईपानी में एक किसान के लिए यह तालाब परेशानी का सबब बना हुआ है। तालाब में सुधार के लिए संबंधित किसान साल भर तक कार्यालय के चक्कर काटता रहा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं। बीते दिनों लगातार 5 से 6 दिनों तक हुई बारिश की वजह से तालाब का पानी किसान के खेत में भर गया। अंकुरित धान की फसल को खेत में डूबते देख परेशान किसान के सब्र का बांध टूट गया और उसने फावड़े से तालाब की मेड़ काटकर एकत्र पानी को बहा दिया। कलेक्टर को दिया आवेदन कोई कार्रवाई नहीं: अर्जुन घुईपानी निवासी किसान मनमोहन सिंह पिता कुंजबली ने 3 अगस्त की सुबह फावड़े से तालाब का मेड़ काटकर तालाब में जमा पानी को बहा दिया। मनमोहन सिंह के भाई अर्जुन सिंह ने बताया कि पिछले साल भी उसके भाई मनमोहन के 3 खेतों में तालाब का पानी भर जाने से धान की फसल को नुकसान हुआ था। उसने बताया कि तालाब में सुधार कार्य के लिए उसके भाई ने पिछले साल कलेक्टर, एसडीएम और डीएफओ को आवेदन किया, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। डीएफओ पटेल ने नहीं किए कॉल रिसीव वन विभाग द्वारा लाखों की लागत से निर्मित तालाब में खामियां सामने आने पर जब इस विषय में डीएफओ वनमंडल मनेंद्रगढ़ एलएन पटेल से जानकारी लेनी चाही गई तो कई बार उनके मोबाइल पर कॉल करने के बाद भी उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। तालाब की गहराई तीन मीटर की जगह मात्र डेढ़ मीटर रखी गई है घुईपानी के ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि लाखों की लागत से बने तीनों तालाब के निर्माण कार्य में अनियमितता बरती गई है। वन विभाग द्वारा इसके लिए टेंडर कर ठेकेदार से निर्माण कराया गया है। जब तक काम चलता रहा, विभाग का कोई भी जिम्मेदार अफसर मौके पर देखने के लिए नहीं आया। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि तालाब की गहराई 3 मीटर की जगह मात्र डेढ़ मीटर रखी गई है। वहीं वेस्ट वेयर का निर्माण भी सही तरीके से नहीं किया गया। ताकि तालाब का ओवरफ्लो पानी आसानी से बाहर निकल सके।