
रामानुजगंज। वन परिक्षेत्र धमनी के अंतर्गत ग्राम सुंदरपुर में सडक़ से करीब डेढ़ सौ मीटर अंदर जंगल में छुपा कर बड़ी मात्रा में खैर के लकड़ी को तस्करी के लिए रखा गया था। जिसकी सूचना जब स्थानीय ग्रामीण से वन विभाग को मिली तो लकड़ी को जप्त कर वन विभाग के कार्यालय लाया गया।जप्त लकड़ी 11.235 घन मीटर बताई जा रही है जिनकी संख्या 200 है। जिसकी कीमत लाखों रुपए में बताई जा रही है। तस्करों को खैर की लकड़ी का मुंह मांगा कीमत मिलता है।
गौरतलब है कि सुंदरपुर जंगल में छुपा कर बड़ी संख्या में खैर की लकड़ी रखी गई थी जब ग्रामीणों ने जब देखा तो तत्काल इसकी सूचना वन विभाग को दी सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर लकड़ी को जप्त किया। खैर की लकड़ी को छुपा कर अंतरराज्य तस्करों के द्वारा कुछ स्थानीय लोगों के सहयोग से गांव-गांव में जाकर खरीद कर धीरे-धीरे एक जगह जमा किया गया था। तस्करों के उठाने के पूर्व इस ग्रामीण देख लिया एवं इसकी सूचना वन विभाग को दे दी।बताया जा रहा है कि सुंदरपुर में खैर की इतनी लकड़ी नहीं है इसे धमनी, गडग़ोड़ी सहित अन्य स्थानों से लाकर जमा किया गया था। रेंजर अजय वर्मा ने बताया कि खैर की लकड़ी को जप्त कर लिया गया है। आगे की कार्रवाई के लिए तहसीलदार को लिखित में सूचना दे दी गई है। खैर पेड़ की मांग रहने के कारण वन माफियाओं के द्वारा जंगल को खैर पेड़ विहीन कर दिया गया है। अब खैर का पेड़ ग्रामीणों के खेतों में ही देखा जाता है तस्कर सक्रिय रहते हैं एवं घूम घूम कर खैर का पेड़ खोज कर ग्रामीणों से पैसा देकर खैर का पेड़ कटवा खरीद लेते हैं। खैर का पेड़ जंगलों से लुप्त हो गए इसका कारण है औषधीय गुण कत्था बनाने और चमड़ा उद्योग में उपयोग के लिए मांग होने की वजह से । उत्तर प्रदेश में काफी महंगे दाम पर खैर की लकड़ी बिकती है इसे किलो में लेते हैं। खैर पेड़ की हमेशा मांग बनी रहती है जिसका तस्कर इसका मुंह मांगा कीमत देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं ग्रामीणों को पैसा देकर यह पेड़ कटवा लेते हैं। ग्राम बिशुनपुर के राम लखन पिता वासुदेव सिंह के घर के बाहर रखा 42 नग खैर का लकड़ी वन विभाग के द्वारा जप्त किया गया। जो 1.894 घन मीटर है। ग्रामीण ने बताया कि पैसा की जरूरत थी इलाज के लिए इसलिए अपने जमीन से काटकर बेचा था लकड़ी अभी उठा नहीं था इस कारण घर के बाहर रखा हुआ था।