जांजगीर। पामगढ़ विकासखंड मुलमुला गांव में परिवार की सदस्यों की तरह लोग एक-दूसरे की मदद करते हें। गांव में रहने वाले कोई भी सदस्य अगर बीमार होता या फिर उसके सामने आर्थिक संकट आता है तो वे उसे उसकी मदद चंदाजुटाकर तुरंत करते हैं। इसके अलावा ब्लड की जरूरत होने पर वे रक्तदान करने से पीछे नहीं हटते। गांव के किसी परिवार में कोई बड़ा बुजुर्ग या मुखिया न हो तो वे मिलकर उस परिवार के लिए फैसले लेते हैं और एकजुट होकर उसकी मुश्किलें आसानी से दूर कर देते हैं। गांव के किसी घर में किसी की मौत होने पर उसके परिजन के अंतिम संस्कार का आर्थिक बोझ से बचाने के लिए सभी ग्रामीण 500-500 सहयोग राशि देते हैं। यह परंपरा पिछले पांच साल से चली आ रही है। हालांकि यह बाध्यता नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति ऐसा करे यह भी देने वाले की आर्थिक स्थिति पर छोड़ दिया गया है कि वह जितना हो सकता है सहयोगकरे। बिंदिया के इलाज के दौरान ब्लड की जरूरत पड़ी तो वे जिला अस्पताल के ब्लड बैंक पहुंचे। वहां ब्लड नहीं होने की जानकारी मिली तो गांव के ऋषभ सिंह, तेजबहादुर, भूपेंद्र दीक्षित सहित अन्य युवाओं ने इलाज के दौरान ब्लड देने को तैयार हो गए। अब जब उनके गांव की बच्ची स्वस्थ्य होकर वहां लौटी तो उन्होंने फैसला लिया कि जिला अस्पताल में ब्लड की कमी दूर करने के लिए गांव में ब्लड कैंप का आयोजन करेंगे।