नईदिल्ली, 2९ जनवरी ।
वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार कर रही संसदीय समिति वक्फ बोर्डों में गैर-मुसलमानों को शामिल करने के सरकार के कदम का समर्थन करने जा रही है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। संयुक्त संसदीय समिति बुधवार को अपनी रिपोर्ट एडॉप्ट करने वाली है। समिति शिया मुसलमानों के दो छोटे संप्रदायों- दाऊदी बोहरा और आगा खानी की दलीलों से भी सहमत है कि उनकी अपनी विशिष्ट पहचान है और उनकी स्वीकार्यता भी इसी रूप में होनी चाहिए। उन्होंने खुद को प्रस्तावित कानून के दायरे से बाहर रखने की मांग की थी।भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति का मानना है कि विधेयक का प्रस्ताव राज्य वक्फ बोर्डों का विस्तार कर दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना और शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिम समुदायों से व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना वक्फ प्रबंधन में समावेशिता और विविधता को बढ़ावा देगा।विपक्षी दल इस विधेयक की कड़ी आलोचना कर रहे हैं और जगदंबिका पाल पर पहले से तय सिफारिशों को मनमाने ढंग से मानने और विपक्षी सांसदों की आवाज दबाने का आरोप लगा रहे हैं। डीएमके सांसद ए राजा आरोप लगा चुके हैं कि समिति एक मजाक बन गई है।वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पर मसौदा रिपोर्ट बुधवार को होने वाली संयुक्त संसदीय समिति की बैठक से पहले समिति के सभी सदस्यों को भेज दी गई है। सूत्रों के अनुसार, समिति ने 14 धाराओं में संशोधन को मंजूरी दे दी है।
जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा है कि विचार-विमर्श में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया है वहीं विपक्षी सदस्यों का कहना है कि उन्हें बड़ी मसौदा रिपोर्ट को पढऩे और अपनी टिप्पणियां देने के लिए बहुत कम समय दिया गया है।ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीबी) ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू किए जाने और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा स्वीकृत वक्फ संशोधन विधेयक के विरुद्ध आर-पार की लड़ाई की चेतावनी दी है। राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा करते हुए कहा गया है कि अगर जरूरत पड़ी तो हम इस मुद्दे पर सडक़ों पर उतरेंगे और जेल भरेंगे। साथ ही उत्तराखंड के मुसलमानों से अपने धार्मिक कानूनों से समझौता नहीं करने का आह्वान किया है। एआईएमपीबी ने दोनों मामलों को देश के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और नुकसानदेह बताते हुए कहा कि आंदोलन में अन्य मुस्लिम संगठन भी शामिल होंगे। बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि जेपीसी ने सभी लोकतांत्रिक और नैतिक मूल्यों का उल्लंघन किया है और संवैधानिक अधिकारों का दमन किया है।