जांजगीर- चांपा । बम्हनीडीह ब्लाक के ग्राम पंचायत अफरीद में महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की यूनिट शुरू की गई थी। यहां विश्वा महिला स्व सहायता समूह द्वारा पेंट का निर्माण भी गोबर से किया जा रहा था। उन्हें अच्छी आय भी हो रही थी मगर अब गोठान में गोबर खरीदी बंद है। इसके साथ ही पेंट निर्माण का काम भी ठप हो गया है। पेंट निर्माण यूनिट में 27 सौ 18 लीटर पेंट डंप है। जिसकी कीमत 7 लाख 20 हजार रूपए है वहीं साढ़े 4 लाख का कच्चा माल भी रखा हुआ है। गोबर पेंट बिक्री का लगभग साढ़े 7 लाख रूपए भुगतान भी विभिन्न् शासकीय संस्थानों से नहीं हुआ है। ऐसे में समूह की महिलाएं असमंजस में हैं कि पेंट की बिक्री होगी या नहीं ।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा रीपा के तहत गोठानों में स्व रोजगार के लिए कई लघु उद्योग स्थापित किए गए। इसी तरह एक उद्योग गोबर से पेंट बनाने के लिए बम्हनीडीह ब्लाक के ग्राम पंचायत अफरीद में खोला गया। यहां पेंट बनाने की जवाबदारी विश्वा महिला स्व सहायता समूह को दी गई और यहां गोबर से पेंट निर्माण का काम शुरू हुआ। समूह के सदस्यों ने बताया कि प्राकृतिक पेंट यूनिट में शुरू से अब तक 8 हजार 412 लीटर पेंट का निर्माण किया गया। जिसकी कीमत 23 लाख 25 हजार 791 रूपए है। इनमें से 5 हजार 694 लीटर पेंट की बिक्री 16 लाख 5 हजार 521 रूपए में की गई। जबकि 2 हजार 718 लीटर पेंट अब भी यूनिट में रखा हुआ है जिसकी कीमत 7 लाख 20 हजार 270 रूपए है। इसके अलावा 5 सौ लीटर गोबर पेंट बनाने के लिए कच्चा माल चूना, टेलकम पाउडर , पेंट पैक करने के लिए प्लास्टिक की बाल्टी और टाइटेनियम डाई अक्साइड , अलसी का तेल आदि बचा हुआ है। बचे कच्चा माल की कीमत 4 लाख 50 हजार है। वहीं बिक्री किए गए पेंट की लगभग साढ़े 7 लाख रूपए की वसूली अब तक नहीं हो पाई है। ऐसे में स्व सहायता समूह की महिलाएं हताश हैं उन्हें शासन के नए आदेश का इंतजार है कि वे अपना काम जारी रखें या समेट लें।
समूह की महिलाओं ने बताया कि गोठान में अभी भी वर्मी खाद निर्माण का काम जारी है। जो खाद पहले बना था उसको छानने का काम चल रहा है। उद्यान विभाग ने इसकी आपूर्ति भी हो रही है। वहीं सब्जी की खेती भी की गई है उसकी देखरेख समूह के सदस्य कर रहे हैं।
ग्राम पंचायत जर्वे और पेंड्री में भी रीपा के तहत लाखों रूपए के शेड का निर्माण कराया गया था मगर ये शेड अब बेकार पड़े हैं। गोठानों में करोड़ों रूपए खर्च किए जाने के बाद भी इसका सही नतीजा नहीं निकला। पूर्व वर्ती सरकार ने गोठानों को स्वालंबन केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास किया मगर सही मानिटरिंग नहीं होने और कमीशन खोरी के चलते यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।
गोबर खरीदी बंद होने और बड़ी मात्रा में पेंट रखे होने के कारण पेंट निर्माण का काम बंद है। पेंट बिक्री की पूरी राशि भी नहीं मिली है। 7 लाख 20 हजार रूपए के पेंट की बिक्री नहीं हो सकी है।
राजेश्वरी नागेश
अध्यक्ष, विश्वा महिला स्व सहायता समूह अफरीद