
कोरिया जिला, अपनी हरी-भरी वादियों और अद्भुत प्राकृतिक दृश्यों के लिए प्रसिद्ध, एक ऐसा स्थान है जहाँ प्रकृति के विविध रंग हर कोने में बिखरे हुए हैं। इन्हीं अद्वितीय स्थानों में से एक है गौरघाट जलप्रपात, जो बैकुंठपुर मुख्यालय से लगभग 20-22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान न केवल जिलेवासियों, बल्कि दूर-दराज़ के पर्यटकों को भी अपनी ओर खींचता है।
गौरघाट: प्रकृति का सजीव चित्र
जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थित गौरघाट जलप्रपात, प्रकृति का एक अद्भुत चमत्कार है। यहाँ का बहता हुआ जल, कल-कल की आवाज़ और चारों ओर फैली हरियाली पर्यटकों के तन-मन को सुकून देती है। इस स्थान की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नववर्ष, दीवाली, क्रिसमस, ईद, जन्मदिन, शादी की सालगिरह जैसे अनेक अवसरों पर बड़ी संख्या में लोग यहाँ आकर जश्न मनाते हैं।
सूर्यास्त का अलौकिक दृश्य
गौरघाट में ढलते सूरज की लालिमा जब झरने के पानी पर पड़ती है, तो दृश्य अद्भुत हो जाता है। यह पल न केवल मन को शांति देता है, बल्कि कैमरों में कैद होकर यादगार बन जाता है। युवा पर्यटक पुरंजय राजवाड़े बताते हैं, जब भी समय मिलता है, मैं अपने परिवार और दोस्तों के साथ यहाँ आता हूँ। प्रकृति के इतने करीब आकर महसूस होता है कि हम सृष्टि के कितने छोटे हिस्से हैं, और यह हमें इसे संरक्षित रखने की प्रेरणा देता है।
पर्यटन के साथ सुरक्षा
जिला प्रशासन और वन विभाग इस स्थान की देखरेख में तत्पर हैं। पर्यटकों को लगातार आगाह किया जाता है कि सेल्फी लेने के दौरान असावधानी न बरतें। यहाँ स्वच्छता बनाए रखने के लिए कचरा न फैलाने और प्लास्टिक का उपयोग न करने की अपील भी की जाती है।
गौरघाट में क्या करें?
परिवार और दोस्तों के साथ यहाँ का वातावरण पिकनिक के लिए आदर्श है, इसे महसूस करें। हरियाली, झरने की आवाज़ और पहाड़ों की सुंदरता आत्मा को शांति देती है, इसे करीब से देखे और तन-मन को सुकून दें। यह स्थान फोटोग्राफरों के लिए एक खजाना है। सूरज की रोशनी में झरने के बदलते रंगों को कैमरे में कैद करना एक अविस्मरणीय अनुभव है।
संरक्षण की जिम्मेदारी
गौरघाट सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि प्रकृति का एक अनमोल उपहार है। इसे संरक्षित रखना हर पर्यटक की जिम्मेदारी है। यहाँ आकर जल, जंगल.और जमीन के महत्व को समझते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैलाना हम सभी का कर्तव्य है।
आइए, गौरघाट को करीब से देखें
गौरघाट जलप्रपात न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि यह प्रकृति के करीब आने और उसके महत्व को मझने का एक माध्यम है। तो आइए, इस बार छुट्टियों में गौरघाट का रुख करें और इस अलौकिक सौंदर्य का आनंद उठाते हुए इसे संरक्षित रखने में अपनी भूमिका निभाएं। प्रकृति से प्यार करें, इसे बचाए रखें और इसके सौंदर्य का आनंद लें।
(एल.डी. मानिकपुरी, सहायक जनसंपर्क अधिकारी)