नईदिल्ली, 0९ दिसम्बर।
पुलिस, सीबीआई, ईडी, कस्टम…ये सभी एजेंसियां बार-बार बता रही हैं कि वे किसी को फोन करके डिजिटल अरेस्ट नहीं करती हैं। फिर भी साइबर ठग लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर अपना शिकार बनाते हैं। साइबर अपराधी डिजिटल अरेस्ट के अलावा और भी तरीके अपनाते हैं। जैसे इन दिनों शेयर बाजार में निवेश के नाम पर ठगी के मामले बढ़े हैं। इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम ने साइबर ठगी के कुछ चर्चित तरीकों के बारे में बताया है। इनसे सतर्क रहने के लिए अभियान की दूसरी कड़ी में पढि़ए किन तरीकों से हो सकती है आपके साथ ठगी, ताकि आप जागरूक रहें, सुरक्षित रहें..। साइबर लुटेरे पुलिस, कस्टम, ईडी, सीबीआई, आरबीआई, ट्राई या कस्टम अधिकारी आदि बनकर फोन करते हैं और लोगों को मनी लॉन्ड्रिंग या ड्रग्स कंसाइनमेंट जैसे आरोप में फंसे होने का दावा करते हैं। फिर सामने वाले को झांसे में लेकर अपने बताए खाते में पैसे ट्रांसफर करा लेते हैं। डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत कई बार सीधे फोन कॉल पर लुटेरों के बात करने से या फिर इंटरेक्टिव वायस रिस्पांस (आइवीआर) कॉल से होती है, जैसे किसी भी बैंक या मोबाइल कंपनी आदि के कस्टमर केयर में बात करने के लिए कॉल करने पर शुरुआत आईवीआर से ही होती है। दोनों ही तरीकों से साइबर अपराधी लोगों को डर या लालच में फंसाते हैं।
इसके बाद वो वीडियो कॉल करते हैं और सरकारी विभाग जैसे सेट में बैठा बदमाश पुलिस या कस्टम अधिकारी की यूनिफार्म में सामने आता है। उसकी धमकियों से जब पीडि़त बेबस महसूस करने लगता है या निकलने का रास्ता पूछता है तो ये रिश्वत की मांग करते हैं। खुद को फंसा मानकर पीडि़त अपनी क्षमता के अनुसार हर बात मानने को तैयार हो जाता है। इस तरह ठगी को पूरी तरह अंजाम देने तक ठग पीडि़त को कैमरे के सामने रखने के लिए डिजिटल अरेस्ट शब्द का इस्तेमाल करते हैं। साइबर अपराधी शेयर मार्केट में पैसा निवेश करने व मुफ्त शेयर ट्रेडिंग सिखाने के नाम पर लोगों को जाल में फंसा लेते हैं।