वाशिंगटन, १९ दिसम्बर ।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने बुधवार को विश्व की सुरक्षा स्थिति पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में चीन के बढ़ते परमाणु हथियार भंडार की जानकारी दी गई है। बताया गया है कि चीन ने 600 परमाणु हथियार तैयार कर लिए हैं जो 2030 तक बढक़र एक हजार हो सकते हैं। रिपोर्ट में चीन के बढ़ते सैन्य संसाधनों के बारे में बताया गया है लेकिन शक जताया गया है कि भ्रष्टाचार के चलते चीनी सेना की आधुनिकीकरण प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाने के लिए 2035 तक प्रयास जारी रख सकता है। ऐसा कर वह अमेरिका और रूस के परमाणु हथियार भंडार के करीब पहुंचने की कोशिश कर रहा है।रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन केवल परमाणु हथियारों की संख्या ही नहीं बढ़ा रहा बल्कि उन्हें ज्यादा उन्नत और संहारक भी बना रहा है। चीन अपने सभी तरह के हथियारों में उन्नत तकनीक का समावेश कर रहा है। वह उन्हें अमेरिकी गुणवत्ता के समकक्ष बनाना चाह रहा है। चीन अपने ड्रोन को उच्च गुणवत्ता वाला बनाना चाह रहा है। इसके बावजूद उसकी वायुसेना अमेरिकी वायुसेना के स्तर से काफी नीचे है। रिपोर्ट में चीन के युद्धपोतों और पनडुब्बियों की भी चर्चा की गई है। उसके पास 2025 तक 395 युद्धपोत हो जाएंगे, 2035 तक इनकी संख्या बढक़र 435 हो जाएगी। इन युद्धपोतों के ठहराव के लिए चीन ने विश्व में 370 प्लेटफार्म भी तैयार कर लिए हैं।
चीन की नौसेना के पास परमाणु हथियारों वाली बैलेस्टिक मिसाइलों से लैस छह पनडुब्बियां हैं।छह परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बियां हैं। इनके अतिरिक्त 48 डीजल इंजन से चलने वाली हमलावर पनडुब्बियां हैं। 2025 के अंत तक इनकी संख्या बढक़र 65 हो सकती है और 2035 तक डीजल चालित पनडुब्बियों की संख्या 80 हो सकती है।रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन हर तरह की मिसाइलों को विकसित करने की प्रक्रिया पर भी कार्य कर रहा है। वह लंबी दूरी तक मार करने वाले अंतर महाद्वीपीय प्रक्षेपास्त्रों (आइसीबीएम) पर खासतौर से कार्य कर रहा है।
इसी के साथ चीन रूस और उत्तर कोरिया के साथ सैन्य संबंध बढ़ा रहा है।