नई दिल्ली। राज्यों के चुनाव में मुफ्त की रेवड़ी संस्कृति को अब सभी पार्टी गले से लगा चुकी है। इससे राज्यों के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ने के साथ यह भी संदेश जा रहा है कि मध्यमवर्ग से टैक्स वसूल कर चुनाव जीतने के लिए उन पैसों को मुफ्त की रेवड़ी के रूप में बांटा जा रहा है। ऐसे में सरकार मध्यमवर्ग को बजट में राहत देकर उन्हें साधने की तैयारी में है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अगले वर्ष फरवरी में पेश होने वाले बजट में मध्यमवर्ग को इनकम टैक्स में सरकार राहत दे सकती है। मध्यमवर्ग में वेतनभोगियों की संख्या सबसे अधिक है जो इनकम टैक्स का भुगतान करते हैं।
वित्त वर्ष 2023-24 में आठ करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न में सालाना पांच से दस लाख कमाई वाले आईटीआर की संख्या 2.79 करोड़ रही तो 10-20 लाख आय वर्ग के आईटीआर की संख्या 89 लाख रही। यानी कि इनकम टैक्स में राहत का फैसला लगभग इन तीन करोड़ टैक्सपेयर्स को ध्यान में रखकर लिया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक राहत देने के लिए वित्त मंत्रालय इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहा है। चालू वित्त वर्ष से टैक्स की नई व्यवस्था के तहत वेतनभोगियों को 75,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलेगा। सालाना सात लाख रुपए तक कमाने वालों को नई व्यवस्था के तहत कोई टैक्स नहीं देना होगा।