प्रत्याशी भी जान चुके हैं गणित को
कोरबा। आम चुनाव में प्रतिनिधित्व करने वाले प्रत्याशी हर स्तर पर तिकड़म भिड़ाते हैं कि कैसे वोट बैंक को अपने पाले में किया जाए। इस दौरान चुनावी चौपाल से लेकर जनसंपर्क, बैठक और सामाजिक स्तर पर होने वाले कार्यक्रम को लेकर काफी जोर दिया जाता है। लोकसभा चुनाव में भी समाज के नाम पर कांट्रैक्ट लेने वाला वर्ग जहां-तहां सक्रिय हैं। लेकिन सच्चाई यह भी है कि समय के साथ इस प्रकार के क्रियाकलापों को लोग जान चुके हैं और वे स्वयं फैसला ले रहे हैं।
कोरबा लोकसभा क्षेत्र में मौजूदा चुनाव को लेकर इस प्रकार की तस्वीरें 4 जिलों के आठ विधानसभा सीट पर नजर आई है। खबर के मुताबिक ठोस जनाधार नहीं रखने वाले चेहरे अपने आपको फ्लैश कराने में लगे हुए हैं जो दावे करते नहीं अघाते कि उनके पास अमूक समाज का वोट है और एक इशारे पर उसे पलटा जा सकता है। इस बहाने झांसे में आने वाले रणनीतिकार जरूर उन्हें आर्थिक रूप से खुश कर देते हैं। कई स्थानों पर बड़े भोज इसी का नतीजा है। लेकिन समय के साथ चुनावी गणित भी बदला है। जानकारों का कहना है कि पिछले चुनावों से जो कुछ अनुभव प्राप्त हुए हैं उसने अब बड़े राजनीतिक दलों को बता दिया है कि समाज के नाम पर कांट्रैक्ट लेने वाले कुछ नहीं कर सकते। क्योंकि उनके कहने मात्र से समझदार लोग मतदान नहीं करते।