
कोरबा। विधानसभा चुनाव को लेकर कोरबा जिले की शहरी सीट पर माहौल गर्म है। यहां पर कांग्रेस ने मौजूदा विधायक और राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल को एक बार फिर प्रत्याशी बनाया है जबकि भाजपा की ओर से पूर्व संसदीय सचिव लखनलाल देवांगन मैदान में हैं। दोनों इलाके के जाने-माने चेहरे हैं। कई प्रकार के दावे चुनाव को लेकर किये जा रहे हैं। सरकारी तंत्र मतदाताओं को जागरूक करने में लगातार जुटा हुआ है। बातचीत करने पर पता चलता है कि बहुत सारे क्षेत्रों में लोगों को चेहरा के साथ-साथ कई अपेक्षाएं भी हैं।
हर बार चुनाव को लेकर दावे किये जाते हैं कि यह प्रलोभनरहित और पारदर्शी होगा। मतदाता इसी संकल्प के साथ बूथ पहुंचेंगे और अपने निर्णय को अंतिम रूप देंगे। जबकि जानकारों का ऐसा मानना है कि खासतौर पर शहरी विधानसभा क्षेत्र में मुद्दे बहुत ज्यादा हावी नहीं है। लोगों को काम भी चुनावी सीजन में या तो याद रहते हैं या याद आते हैं। विधानसभा क्षेत्र की बहुत बड़ी आबादी स्लम इलाकों में निवासरत हैं जो मतदाता के रूप में अपनी भूमिका निभाती है। इसे लेकर बीते वर्षों के अनुभव राजनीतिक दलों के लोगों के पास भलीभांति उपलब्ध हैं और वे जानते हैं कि यहां के वोट हासिल करने के लिए क्या कुछ करना जरूरी होता है। रैली में उपस्थिति से लेकर पोलिंग बूथ तक पहुंचने और संभावनाएं जैसे नजारे पहले भी आते रहे हैं। इसलिए अबकी बार भी इसे लेकर पुराने कयास लगाए जा रहे हैं। जानकारों का साफ तौर पर कहना है कि अलग-अलग कारणों से बीते कई वर्षों में कोरबा क्षेत्र की राजनीतिक हवा बदली है और मतदाताओं के एक विशेष वर्ग के भीतर कई धारणाएं बनी है, इसलिए वे प्रत्याशी के बजाय इस बात पर ज्यादा जोर देते हैं कि उनके हिस्से से हमारे पास क्या आने वाला है।
ऐसे में होता यह भी है कि कई हाथों से चीजें पहुंचती हैं और फिर भी संतुष्टि नहीं हो पाती। समय के साथ प्रत्याशियों को यह केमेस्ट्री समझ में आ रही है और वे आसपास की जरूरतों पर ध्यान देने के बजाय दूसरे तरीकों से वोटर्स को साधने में लगे हुए हैं।