कोरबा। जिले के करतला रेंज में पैरों में मोच व चोट लगने की वजह से लंगड़ा रहे चोटिल हाथी अभी भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो पाया है। वह धीरे-धीरे चल रहा है जिसके कारण झुंड से पिछड़ जा रहा है। चोटिल हाथी अब कोटमेर जंगल पहुंच गया है। वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने उसकी स्थिति को देखते हुए उसे केले के साथ दवा मिलाकर फिर खिलाया ताकि वह जल्द से जल्द स्वस्थ होकर अपने झुंड के साथ आसानी से चल-फिर सके। जहां चोटिल हाथी कोटमेर के जंगल में पहुंच गया है वहीं 48 हाथियों के दल ने बोतली के आतरपानी जंगल को अपना बसेरा बना लिया है। हाथियों का दल यहां विगत एक सप्ताह से जमा हुआ है। दल में शामिल हाथी शाम होने के बाद जंगल से निकलते हैं और बोतली एवं आसपास के गांवों में खेतों में पहुंचकर वहां मौजूद अरहर व धान की फसल को नुकसान पहुंचाने के बाद सुबह होने से पहले फिर आतरपानी जंगल लौटकर वहां विश्राम करने लगते हैं। क्षेत्र में हाथियों के झुंड के सक्रिय रहने से ग्रामीणों को खतरा बना हुआ है। उधर कुदमुरा रेंज में उत्पात मचाकर वन विभाग के नाक में दम करने वाला 12 हाथियों का दल बीती रात आगे बढक़र हाथी पहुंच गया है। हाथियों के दल को आज सुबह यहां के जंगल में विचरण करते हुए देखा गया जबकि तीन हाथी कुदमुरा व गीतकुंआरी के जंगल में अभी भी सक्रिय हैं जिनकी निगरानी वन विभाग द्वारा की जा रही है। उधर कटघोरा वनमंडल के पसान व केंदई रेंज में हाथी समस्या अभी भी बनी हुई है। पसान रेंज के पनगंवा व सेमरहा में हाथी लगातार फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं जबकि केंदई रेंज के कापा नवापारा व बेलबंधा पहाड़ में 22 की संख्या में हाथी विचरण कर रहे हैं। हाथियों का यह दल बड़ा नुकसान नहीं पहुंचाया है फिर भी वन विभाग द्वारा सावधानी बरतते हुए लगातार निगरानी ड्रोन कैमरे के जरिए कराई जा रही है साथ ही हाथियों की उपस्थिति वाले गांवों में लगातार मुनादी कराकर ग्रामीणों को सचेत किया जा रहा है।