मददगार अधिवक्ता नसीफ़ खान की सराहनीय रही भूमिका

कोरबा:कोरबा के गांव सोनपुरी निवासी 80 साल की महिला समारीन बाई के नाम पर पीएम आवास को स्वीकृति तो मिली है. लेकिन इसके पैसे इन तक नहीं पहुंचे. दो किस्त जारी होने के बाद पैसे निर्लज्ज किसी और ने निकाल लिए.80 साल की अस्वस्थ मां को उसका बेटा गोद में उठा कर सोमवार को कलेक्टर जन दर्शन में पहुंचा।
समरिन बाई चलने में असमर्थ है और टूटी फूटी झोपड़ी में रह रही हैं। जिसे उसके पुत्र बंधन सिंह गोद में लेकर कलेक्टर से गुहार लगाने जनदर्शन में पहुंचे थे। इस दृश्य को देखने वालों का दिल पसीज गया क्योंकि पुत्र की उम्र भी 55 से ऊपर रही होगी जो मां को गोद में लेकर पहुंचा हुआ था।
निर्लज और बेशर्म धपले बाजों ने 80 साल की बुजुर्ग महिला, उसकी अस्वस्थता और आर्थिक रूप से बेहद कमजोर स्थिति को भी देखकर तरस नही आया।

मददगार अधिवक्ता नसीफ़ खान

बंधन सिंह और उनकी माता के लिए जिला एवं सत्र न्यायालय में प्रेक्टिस करने वाले अधिवक्ता नफीस खान कलेक्टर से मिलने पहुंचे थे. नफीस ने ही उनके लिए आवेदन बनाया और प्रशासन से गुहार लगाई. नफीस का कहना है कि पीएम आवास का अपना सिस्टम होता है. जब मकान की नींव खोद ली जाती है और निर्माण कार्य कुछ पूरा हो जाए. तभी दूसरी किस्त जारी की जाती है. बिना निर्माण किए बिना नींव खोदे दूसरी किस्त कैसे जारी हो गई यह जांच का विषय है.

वकील ने आरोप लगाया कि किसी दूसरे आवास की फोटो लगाकर फर्जीवाड़ा करते हुए पीएम आवास की राशि को जारी करवाया गया है. इनके खाते से ₹6000 भी निकाल दिए हैं. उन्होंने कहा कि अजगरबहार के बैंक में आवेदन दिया गया है.

पेंशन के पैसे भी नहीं मिल रहे हैं.

बंधन सिंह ने बताया कि मेरी माता चलने फिरने में सक्षम नहीं है. उनके आंख से भी कम दिखाई देता है. मैं ही इसे गोद में लेकर कहीं भी आना-जाना करता हूं. इसके नाम पर पीएम आवास की स्वीकृति मिली. हमें ग्राम पंचायत में आने वाली एक मैडम ने बताया कि पीएम आवास स्वीकृत हुआ है. खाते से पैसे भी निकले हैं, हमें तो पेंशन के पैसे भी नहीं मिल रहे हैं.

कलेक्टर ने मामले की जांच कराने और आवेदक को राहत पहुंचाने कहा

कलेक्टर ने आवेदन को संज्ञान में लेकर जनपद सीईओ कोरबा को आवेदन की जांच कराकर आवेदक को राहत पहुंचाने के निर्देश दिए. साथ ही समाज कल्याण, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागीय योजनाओं से भी लाभान्वित करने के लिए कहा.

बता दे की इस मुद्दे को ईटीवी भारत ने सबसे पहले उठाया है। गौरतलब हैं कि पी एम आवास की योजना में हो रहे फर्जी वाडे की यदि गंभीरता से जांच कराई जायेगी तो ना जाने इस प्रकार के कितने ही मामले सामने आयेंगे। धिक्कार तो उन धोखेबाजों को है जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे गरीब परिवार को शासन की योजना से षड्यंत्र करके वंचित कर रहे है और अपनी जेब भर रहे है। इस तरह के फर्जीवाड़े में संबंधित अधिकारी और कर्मचारी की भूमिका उजागर होनी चाहिए जो गरीब परिवारों के साथ छल कपट करने वाले को संरक्षण दिए हुए हैं।