
जांजगीर चांपा। डायरिया ने फिर से जिले में कहर बरपाना शुरू कर दिया है। नवागढ ब्लाक के अमोदा गांव में डायरिया की चपेट में आने से दो बच्चों की जान चली गई। गांव में अभी दर्जनभर लोग डायरिया से पीडित है। डायरिया से बच्चो की मौत के बाद भी स्वास्थ्य महकमा हरकत में नहीं आ रहा। गांव में सर्वे किया जाना चाहिए और कैम्प लगा कर इलाज करनी चाहिए।
दरअसल डायरिया ने जुलाई माह में जिले में जमकर कहर बरपाया है तब दर्जन भर लोगों की डायरिया की चपेट में आने से मौत हुई थी। अब डायरिया का कहर फिर से शुरु हो गया है। इस बार डायरिया की धमक नवागढ़ ब्लाक के अमोदा गांव में हुई है। गांव में दर्जन भर लोग इसकी चपेट में हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे हैं। डायरिया ने गांव के दो बच्चों की जान भी ले ली। केवट मोहल्ला में रहने वाले संतोष यादव के 8 साल के पोते धनेश्वर यादव की तबीयत दो दिन पहले बिगडी थी और उसे गांव के स्वास्थ्य केंद्र से दवा दी गई। कुछ समय के लिए धनेश्वर की तबियत में सुधार आया और रात भर ठीक तहने के बाद शनिवार 10अगस्त की सुबह उसे तकलीफ हुई। धनेश्वर को 108 के माध्यम से इलाज के लिए नवागढ़ अस्पताल भेजा गया जहाँ डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। वही 5 वर्षीय दिशा केवट की भी शुक्रवार की रात से तबीयत बिगडी और लगातार उल्टी दस्त करने लगी। परिजनों ने शनिवार की सुबह उसे भी चाम्पा अस्पताल ले जा कर उपचार कराया, लेकिन अस्पताल से वापस लाने के बाद उसकी मौत हो गई। अमोदा मे डायरिया से दो बच्चो की मौत की सूचना मिलने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया। एसडीएम के साथ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गांव पहुंचे। मृतकों के घर और आसपास के लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया, जिसमे 9 अन्य लोग डायरिया प्रभावित मिले। सभी को नवागढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। स्वास्थ्य अमल पूरी तरह से उदसीन है,।डायरिया को जलजनित बीमारी माना जाता है। बरसात के मौसम में दूषित पानी पीने से डायरिया फैलने की संभावना रहती है। ज्यादातर डायरिया के केस दूषित पानी पीने के कारण सामने आते है। अमोदा में डायरिया फैलने के बाद पीएचई विभाग द्वारा पानी का परीक्षण किया जा रहा है। बताया जाता है कि पीने का पानी पुराने पाइप लाइन और पुराने टंकी से सप्लाई किया जा रहा है। कई जगह से पाईप लाइन टूट गया है और गंदा पानी पाइप के माध्यम से घरों में पहुंच रहा है। चरमराई सफाई व्यवस्था और पाली में घोल रही बीमारी ने गांव के व्यवस्था के साथ काल जल योजना पर सवाल खड़ा कर दिया है। यहां पदस्थ ग्राम पंचायत के सचिव पूरी तरह से उदासीन है जो गांव के किसी भी समस्या एवं लोगों के स्वास्थ्य प्रति सचेत नहीं है और ना हैं की जानकारी देने के कारण शासकीय योजनाओं का लाभ तथा लोगों को समय पर स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा ग्राम में नहीं पहुंच पाती। वह केवल राजनीति में मशगुल रहते हैं तथा डिंग हाकते हुए घूमते फिरते रहते हैं।
उधर यहां की मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी वंदना सिसोदिया द्वारा भी फील्ड का दौरा नहीं किया जाता । जिसके कारण समय पर लोगों को उपचार करने में तकलीफें होती रहती हैं तथा चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से लोगों को सुलभ नहीं हो रहा। जिले में पदस्थ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के चिकित्सक पूरी तरह से अनियंत्रित हो गए हैं। और लोग छोटी-छोटी बीमारियों से मार रहे हैं।