कोरबा। माननीय सत्येन्द्र कुमार साहू, जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष महोदय, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के रिट पिटीशन सिविल नंबर 406/2013 इन ह्यूमन कंडिशन इन 1382 प्रिजनर के संबंध में पारित आदेश के परिपालन में जेल समीक्षा दिवस में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सीमा प्रताप चन्द्रा, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा शीतल निकुुंज के साथ जिला जेल का औचक निरीक्षण कर प्रत्येक बैरक, भोजन कक्ष, दवाखाना में जाकर दंडित बंदी एवं अभिरक्षाधीन बंदियों को जेल मिलने वाले सुविधा के संबंध में निरीक्षण किया गया ।उक्त अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा जेलों में निरूद्ध दंडित एवं विचाराधीन बंदियों में जागरूक किये जाने के प्रयोजनार्थ विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन भी किया गया। माननीय श्री सत्येन्द्र कुमार साहू, जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष महोदय जी के द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि जाने अनजाने में आप लोग जेल में निरूद्ध हो गये है इसका यह मतलब नहीं है कि आप सभी अपराधी हो। कुछ गंभीर धारा में कुछ छोटे मोटे धारा में जेल आ जाते है। जेल अपराध का पश्चाताप करने का आपका मौंका देता है। हम सभी समाज में रहते है, एक सभ्य समाज के संचालन हेतु कानून व्यवस्था का होना अति आवश्यक है। कानून व्यवस्था नहीं होगी तो जिसकी लाठी उसी के भैंस जैसे हो जायेगी। अर्थात् जो अधिक ताकतवर होगा, वही राज करेगा जिससे कमजोर व्यक्ति अधिकार का हनन होगा। इससे समाज में अराजकता फैल जायेगी।उनके द्वारा आगे कहा कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई, दिल्ली, उच्चतम न्यायालय के द्वारा जेल में निरूद्ध अभिरक्षाधीन बंदी एवं दंडित बंदी की संख्या को देखते हुये उन्हें अधिक से अधिक सुविधा उपलब्ध कराये जाने के संबंध में दिशा-निर्देश समय-समय पर जारी होते है। जेल में बंद बंदियों को समय का सद्पयोग किये जाने हेतु कहा गया । मुख्य न्यायिक मजि0 सीमा प्रताप चन्द्रा के द्वारा कहा गया कि प्रकरण लंबे समय में चलने का कारण यह होता है कि कोई भी प्रकरण में अन्वेषण की प्रक्रिया, विचारण की प्रक्रिया होती है जो कि एक जटिल प्रक्रिया होने के कारण निराकरण नहीं पो पाता है। उक्त अवसर पर श्री विज्यानंद सिंह, सहायक जेल अधीक्षक कोरबा निरीक्षण के दौरान उपस्थित थे।