जांजगीर। जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सफलता में उनके कार्यकर्ता रुकावट बन गए हैं। पार्टी ने 17 उम्मीदवारों की घोषणा की थी, लेकिन उसमें से भी 14 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। उनके खिलाफ पार्टी से ही कुछ अन्य सदस्यों ने नामांकन जमा कर दिया है, जिससे पार्टी में असंतोष और विरोध की स्थिति बन रही है।
कांग्रेस के भीतर चल रही यह राजनीति अब गंभीर मुद्दा बन चुकी है। पार्टी के भीतर कई नेता और कार्यकर्ता इस बात से नाराज हैं कि उनकी उम्मीदवारी को नजर अंदाज कर दिया गया और जिन उम्मीदवारों का चयन किया गया, उनके प्रति भी आंतरिक विरोध है। इस असंतोष ने पार्टी में मान-मनौव्वल का दौर शुरू कर दिया है, जिसमें विभिन्न नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच संवाद और समझौते की कोशिशें चल रही हैं।
कुछ नेताओं का कहना है कि पार्टी नेतृत्व ने उनके समर्थकों की उपेक्षा की है और उन लोगों को उम्मीदवार बनाया है जो स्थानीय स्तर पर उतने प्रभावशाली नहीं हैं। वहीं, पार्टी के अन्य नेता इस असंतोष को शांत करने के लिए बैठकें और वार्ता कर रहे हैं। यह स्थिति कांग्रेस पार्टी के लिए एक चुनौती बन गई है, क्योंकि चुनावी मुकाबला पहले से ही कठिन है और पार्टी को आंतरिक विवादों को सुलझाकर एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरने की आवश्यकता है। पार्टी नेतृत्व को अब यह तय करना होगा कि वह कैसे अपने कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य बनाएंगे। कांग्रेस में बगावत चुनौती कांग्रेस पार्टी से पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष अजीत साहू, कांग्रेस पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष लोकेश राठौर और कांग्रेस के किसान नेता कमल किशोर साव तीनों ने क्षेत्र क्रमांक 1 में अपना नामांकन दाखिल किया है। हालांकि कांग्रेस पार्टी से इस क्षेत्र को मुक्त रखा है। इसी तरह क्षेत्र क्रमांक 3 में पूर्व जिला पंचायत सदस्य दिनेश शर्मा और योगेंद्र प्रताप सिंह मैदान हैं, जबकि इस क्षेत्र से पार्टी ने दिनेश शर्मा को अधिकृत किया है।