
कोरबा। वनमंडल कोरबा व कटघोरा में हाथियों का आतंक थमने का नाम ही नही ले रहा है। कटघोरा के पसान रेेंज अतंर्गत बनिया क्षेत्र से अचानक लमना पहुंचे दो दंतैेल हाथियों ने बीती रात उत्पात मचाते हुए एक ग्रामीण के घर को ढाहा दिया वहीं कोरबा वन मंडल के कुदमुरा रेंज में मौजूद 11 हाथियों कादल रात में करतला रेंज के कलगामार गांव पहुंच गया था। और वहां खेतो में उत्पात मचाने तथा फसल को रौंदने के बाद सुबह होने से पहले वापस कुसमुरा पहुंच गया । और यहां के जंगल के कक्ष क्रमांक 1140 में फिर डेरा जमा दिया हाथियों के दल ने जंगल पहुंचने से पूर्व रास्ते में तौलीपाली तथा कुदमुरा के 6 ग्रामीणों की खेतो में लगे धान की फसल को रौंद डाली है। पीडि़त ग्रामीणों द्वारा सूचना दिए जाने पर वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी मौके पर पहुंचे और हाथियों द्वारा किए गए नुकसानी का आकलन करने के साथ रिपोर्ट तैयार की। वन विभाग द्वारा हाथियों की मौजूदगी वाले क्षेत्र में मुनादी कराने के साथ ही ग्रामीणों को लगातार सर्तक करने का काम शुरू कर दिया गया है। ग्रामीणों से कहा जा रहा है कि वें हाथियों से दूरी बनाए रखे।
इस बीच खतरनाक लोनर हाथी अभी भी पंतोरा के निकट छाता जंगल मेें डेरा डाला हुआ है। इस पर नियंत्रण करने के लिए राजू नामक प्रतिक्षित कुमकी हाथी पंतोरा क्षेत्र में पहुंचा हुआ है। लेकिन अब तक नियंत्रण के दिशा मेंकुमकी को खास सफलता नही मिल पायी है। लोनर हाथी कुमकी को देखते ही भाग कर छिप जा रहा है। जिससे अभियान रूकावट पैदा हो रही है। कल कनकी में सोमवार को कांवर यात्रा को देखते हुए अभियान को रोक दिया गया था। संभावना है कि आज फिर कुमकी को छाता के जंगल में उतारा जाएगा। लोनर के नियंत्रण हेतु पहुंचे कुमकी हाथी राजू के संबंध में बताया जाता है कि कभी उत्पात मचाने वाला यह हाथी अब जंगल का पहरेदार बन चुका है, और उसकी चिंघाड़ से न केवल जंगली हाथी दूर रहते हैं, बल्कि लकड़ी तस्कर भी उससे खौफ खाते हैं।
करीब 11 साल पहले राजू एक सामान्य जंगली हाथी था, जो राजनांदगांव के जंगलों में उत्पात मचा रहा था। वन विभाग की टीम ने उसे बड़ी मशक्कत के बाद पकड़ा और उसे प्रशिक्षण के लिए रखा गया। राजू को विशेष प्रशिक्षण देकर ‘कुमकी’ हाथी बनाया गया। ‘कुमकी’ हाथी कोई प्रजाति नहीं, बल्कि वे हाथी होते हैं जो विशेष रूप से प्रशिक्षित होते हैं और जंगली जानवरों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। एक तरह से कहें तो कुमकी हाथी न केवल जंगली जानवरों को घने वानों में वापस भेजने की कला जानते हैं बल्कि अपने महावत के हर इशारे को समझते हैं और जंगल में विषम परिस्थितियों का सामना करने के काबिल होते हैं।कुछ साल पहले, राजू को सरगुजा क्षेत्र के अचानकमार टाइगर रिजर्व के सिंहावल में स्थानांतरित किया गया, जहां उसकी दोस्ती लाली नाम की हथिनी से हुई। आज राजू और लाली के दो बच्चे भी हैं—बड़ा बेटा सावन और छोटा बेटा फागू। राजू अपने महावत शिवमोहन राजवाड़े के साथ जंगल की गश्त करता है, लाली और सावन भी उनके साथ रहते हैं। फागू अभी छोटा है, इसलिए उसे कैंप में ही रखा जाता है। राजू और लाली के परिवार के लिए जंगल में कैंप की स्थापना की गई है। जहां सौर ऊर्जा से चलने वाला मोटर पंप, तीन शेड, मेडिकल किट और महावत के परिवार के लिए आवास की व्यवस्था है।राजू की सबसे बड़ी खासियत उसकी सतर्कता है। लकड़ी की तस्करी करने वालों में राजू का जबरदस्त खौफ है। आरी और टांगी की हल्की सी आवाज सुनते ही राजू तस्करों की ओर चिंघाड़ते हुए दौड़ पड़ता है, जिससे तस्कर भाग खड़े होते हैं। राजू अब तक 100 से अधिक तस्करों की साइकिलें जब्त कर चुका है और महावत को सौंप दी हैं। राजू का बड़ा बेटा सावन भी अब ‘कुमकी’ हाथी बनने की राह पर है। राजू और उसके परिवार को पालतू बनाए रखने के लिए विशेष भोजन और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच की जाती है। राजू न केवल जंगल की निगरानी करता है, बल्कि घायल अवस्था में मिले अन्य जानवरों की भी देखभाल करता है।