कोरबा। गीता जयंती पर बुधवार को यहां के कई शैक्षणिक संस्थाओं के साथ-साथ मंदिरों में कार्यक्रम किए गए । यह सभी गीता के ज्ञान पर केंद्रित थे । इनके मर्मों को समझने के लिए काफी संख्या में जिज्ञासु लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती मनाने की परंपरा उस कालखंड से है जब कुरुक्षेत्र की धरती पर महाभारत का युद्ध हुआ था। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने गीता जयंती को ही अर्जुन को जीवन के बड़े रहस्य के बारे में उपदेश दिए थे। जीवन में अच्छा क्या है और गलत क्या है इस पर दिव्य ज्ञान दिए जाने के बाद ही अर्जुन ने समझा कि उनके लिए सही रास्ता क्या है। ऐसे ही उपयोगी चीज श्रीमद् भागवत गीता में उल्लेखित है। अगहन शुक्ल पक्ष के एकादशी को वैदिक परंपरा का अनुगमन करने वाली स्थानीय शैक्षणिक संस्थाओं के साथ-साथ मंदिरों में आयोजन किए गए। आचार्य और शिक्षकों के द्वारा इस अवसर पर श्रीमद् भागवत गीता के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई और कहा गया कि इन सूत्रों का अनुसरण करने से हम सभी अपने जीवन को बेहतर कर सकते हैं। इस अवसर पर कई प्रतियोगिताएं भी सामाजिक संगठनों की ओर से की गई जिनमें विद्यार्थियों ने अपने ज्ञान का प्रदर्शन किया।