
कोरबा। जिले में एक नगर निगम सहित 6 निकायों के वार्डों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के साथ कहीं खुशी है तो कहीं मायूसी। जो लोग पहले से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे थे उनके वार्डों के समीकरण ने आरक्षण ने गड़बड़ा दिए हैं। कहीं जातिगत कैडर बदल गया है तो कीं जनरल। ऐसे में संभावित दावेदार दूसरे वार्ड से दम लगाने की जुगत में हैं। जबकि बहुत सारे वार्डों से टिकट की चाह रखने वालों ने प्रमुख राजनीतिक दलों और नेताओं से अपनी नजदीकी का आधार खोजना शुरू कर दिया है।
नगर निगम चुनाव के लिए पार्षदों को खर्च की सीमा बढ़ाकर 8 लाख कर दी गई है। कोरबा जिले में नगर निगम के परिसीमन के बाद फिर से वार्डों की संख्या यथावत 67 हो गई है। इनमें से खासतौर पर अनुसूचित जाति और जनजाति वाले वार्डों का स्वरूप पहले की तरह बना हुआ है जबकि ओबीसी आरक्षण के कारण 16 वार्डों के समीकरण में बदलाव आया है। 23 वार्ड ऐसे हैं जो अनारक्षित रखे गए हैं। खबर के अनुसार नगरीय निकाय चुनाव का एलान भले ही अभी नहीं हुआ है लेकिन आरक्षण ने वातावरण में गर्मी ला दी है। सूत्रों का कहना है कि वार्डों की स्थिति बदलने से भाजपा और कांग्रेस के कई नेताओं के हाथ से तोते उड़ गए हैं।
आठ पार्षद के सामने समस्या
उधर नगर पालिका परिषद दीपका में मौजूदा 8 पार्षद अगला चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इसके पीछे भी असली कारण आरक्षण संबंधी व्यवस्था है। ऐसे पार्षदों के वार्ड या तो बदल गए हैं या फिर उन्हें दूसरे कैडर के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। ऐसे में दावेदारों के सामने विकल्प है कि वे प्रतिनिधित्व करने के लिए या तो जगह बदले या फिर घर के किसी महिला परिजन को सामने प्रस्तुत करे।