
ईंट भट्टा में काम कराने ले जा रहा था ठेकेदार
कोरबा। अपने ही क्षेत्र में लोगों को रोजगार देने के साथ लाभान्वित करने के लिए सरकार योजनाएं चला रही है। इसके बाद भी पलायन का सिलसिला जारी है। कोरबा सहित विभिन्न जिलों से लोगों का दूसरे प्रदेशों को जाना जारी है। रोजगार की तलाश में प्रदेश के सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले से बिहार के औरंगाबाद जा रहे दस मजदूरों का किसी बात को लेकर ठेकेदार से विवाद हो गया जिस पर मजदूर बस से उतर गए। आगे सूचना पहुंचने पर पुलिस ने हस्तक्षेप किया। पुलिस की टीम बस स्टैंड पहुंची और सभी को पुलिस चौकी ले आई। मजदूरों से इस बारे में जानकारी हासिल की जा रही है।
छत्तीसगढ़ से बड़ी संख्या में लोगों का पलायन करना नई बात नहीं है। लंबे समय से यह क्रम बना हुआ है। रोजगार की दर या बाहर का आकर्षण कहा जाए, हर वर्ष बच्चों सहित हजारों परिवार दूसरे प्रदेश की तरफ कूच करते हैं। खबर के मुताबिक छत्तीसगढ़ में रहने वाले लोग रोजगार की सिलसिले में यहां से पलायन कर बिहार का रुख कर रहे है। कोरबा के सीएसईबी चौकी में इस तरह का मामला सामने आया है जहां सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले से बिहार के औरंगाबाद जिला जा रहे 9 मजदूर और उनके ठेकेदार को पकड़ कर पुलिस चौकी ले आई। औरंगाबाद में ईंट भट्टे में काम करने ठेकेदार मजदूरों को लेकर जा रहा था,लेकिन पैसों को लेकर विवाद हुआ जिसके बाद कंट्रोल रुम तक बात पहुंची और वहां से सीएसईबी पुलिस को सूचना दी गई जिसके बाद पुलिस की टीम बस स्टैंड पहुंची और सभी को पुलिस चौकी ले आई।
पूछताछ में बात सामने आई है,कि ठेकेदार से मजदूरों की एडवांस में पैसे देने की बात हुई थी लेकिन ठेकेदार ने रुपए नहीं दिए जिसके कारण विवाद होने लगा। इतना ही नहीं ठेकेदार ने मजदूरों का कुछ पुराना पैसा भी नहीं दिया। सीएसईबी चौकी प्रभारी लक्ष्मण खूंटे ने बताया कि संबंधित पक्षों के अंतर्गत अगली कार्रवाई की जा रही है।
पलायन और प्रवास के मामले अलग-अलग, बताया श्रम अधिकारी ने
इस प्रकार के मामलों को लेकर श्रम अधिकारी से बातचीत की गई तो वहां से बताया गया कि छत्तीसगढ़ में पलायन की समस्या कहीं है ही नहीं। यह जरूर है कि कुछ जिलों से लोग कामकाज के सिलसिले में दूसरे राज्यों के लिए प्रवास जरूर करते हैं। अधिकारी के अनुसार कोई व्यक्ति एकल अथवा समूह में जब स्थाई रूप से अपने क्षेत्र से बाहर के राज्य को चले जाते हैं तो यह पलायन की श्रेणी में आता है। इससे अलग अगर लोग रोजगार के लिए कुछ अवधि के लिए बाहर जाते हैं तो यह प्रवास की श्रेणी का हिस है। प्रवास करने वाले लोगों को संवैधानिक अधिकार है और किसी भी कारण से हम उन्हें रोक नहीं सकते। अधिकारी ने बताया कि 10 से अधिक की संख्या में किसी काम के लिए बाहर लेकर जाने का काम अगर ठेकेदार करते हैं तो उन्हें इसके लिए श्रम विभाग से नियमत: लेबर लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है। ऐसे प्रकरणों में अगर नियम की अनदेखी की जाती है तो उन पर कार्रवाई होती है। श्रम अधिकारी ने बताया कि अपने राज्य से बाहर जाकर काम करने के दौरान अगर लोगों को बंधक बनाने के मामले प्रकाश में आते हैं तो स्थानीय कलेक्टर संबंधित राज्य के कलेक्टर से समन्वय स्थापित करते हैं। इस आधार पर गृह जिले से टीम मौके के लिए भेजी जाती है जो बंधक बनाए गए लोगों को मुक्त कराने का काम करती है। इस दौरान उनकी सुविधाओं का ख्यान रखा जाता है।