सारागांव। नगर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार पड़ा हुआ है। नगर पंचायत सारागांव चिकित्सा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ नगर है। यहां के प्रथामिक स्वास्थ्य केंद्र में भी एमबीबीएस डॉक्टर नहीं हैं। जिससे यहां के लोगों को बेहतर इलाज के लिए चांपा, जांजगीर, बाराद्वार बम्हनीडीह, बिलासपुर तक जाना पड़ता है। पहले उक्त अस्पताल में एमबीबीएस डॉक्टर पदस्थ थे। जिनका भी स्थानांतरण हो गया। उसके बाद उनके स्थान में कोई अन्य डॉक्टरों की यहां पद स्थापना नही की गयी है। सारागांव में पहले उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना हुई थी। स्थापना के कई वर्षों तक स्थिति ठीक ठाक चलती रहीए वही इसे बाद में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की दर्जा दी गयी लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाचार पड़ा है। यहां के स्वास्थ्य केंद्र अब खुद अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है।
लैब में जांच कराने कई दिनों तक करना पड़ता है इंतजार
नगर में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ लैब टेक्नीशियन सप्ताह में दो दिन ही यहां ड्यूटी करते हैं। जिससे लोगों को छोटी सी जांच के लिए भी कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। पहले यहां लेब टेक्नीशियन पदस्थ थे, जो रोजाना यहां ड्यूटी करते थे। इससे नियमित रूप से जांच की सुविधा लोगों को मिल रही थी। लेकिन उनके स्थांतरण के बाद यहां केवल दो दिन ही जांच की सुविधा मिल रही है।
स्टॉफ की कमी से जूझ रहा स्वास्थ्य केंद्र
यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वीकृत पदों में से आधे से ज्यादा पद सालों से खाली हैं। जिन्हें पूरा करने स्वास्थ्य विभाग के द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा। सारागांव नगर पंचायत होने व बड़े आबादी वाले नगर होने के बाद भी यहां की इस तरह की हालत एक विडंबना ही है। लोग आस लेकर यहां इलाज कराने पहुंचते हैं, मगर उनको यहां से मायूस होकर अन्य निजी अस्पतालों की शरण लेना पड़ता है। जिससे क्षेत्र के लोगों में शासन-प्रशासन के प्रति आक्रोश भी पनप रहा है।