टूंडला, ३१ अगस्त ]। लिवर ट्रांसप्लांट के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट पर दरभंगा से दिल्ली ले जा रहे तीन साल के मासूम की चलती ट्रेन में सांसें थम गईं। कानपुर में ऑक्सीजन समाप्त होने के बाद उसकी हालत बिगड़ गई थी। बच्चे को उपचार देने के लिए नान स्टाप तेजस राजधानी एक्सप्रेस को रोका गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं, परिजनों ने निगरानी करने वाले डॉक्टर और तकनीशियन पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। जानकारी के मुताबिक, झारखंड के जिला गिरिडीह के गांव नीमाडीह निवासी पवन कुमार के बेटे कृष्ण कार्तिकेय को 25 अगस्त को बुखार आया था। हालत बिगडऩे पर उसे पटना अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने उसका लिवर खराब बताया।मंगलवार को वह दरभंगा से बेटे का लिवर ट्रांसप्लांट कराने तेजस राजधानी से दिल्ली ले जा रहे थे। बेटा वेंटिलेटर सपोर्ट पर था। डॉक्टर, सहायक व वेंटिलेटर बुक किया था। वह कोच संख्या ए-3 व ए-4 में यात्रा कर रहे थे। उनके साथ उनके पिता लाल साहू व सास नीलू देवी भी थी। कानपुर रेलवे स्टेशन पर ऑक्सीजन समाप्त होने पर दूसरे सिलेंडर की व्यवस्था की गई। सिलेंडर आने से पहले ट्रेन चली तो उसे चेन खींचकर रोका गया। ऑक्सीजन लेने के बाद वह कानपुर से चले, लेकिन कुछ देर बाद ही बेटे की हालत बिगड़ गई। डॉक्टर की मांग होने पर सुबह पांच बजे टूंडला स्टेशन पर ट्रेन को रोका गया। रेलवे अस्पताल के डॉक्टरों ने जांच के बाद बच्चे को मृत घोषित कर दिया। घटना में बच्चे के साथ चल रहे डॉक्टर व तकनीशियन की लापरवाही का मामला सामने आया है। पिता का आरोप है कि ऑक्सीजन कानपुर आने से पहले ही समाप्त हो चुकी थी और डॉक्टर व तकनीशियन चादर तान कर सो रहे थे। बच्चे के पिता ने दोनों के विरुद्ध जीआरपी थाने में तहरीर दी है।ीडि़त पवन कुमार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की इकमीघाट शाखा दरभंगा में तैनात हैं। उन्होंने बताया कि बच्चे को सुरक्षित एम्स तक पहुंचाने के लिए उन्होंने पटना की एक एंबुलेंस कंपनी को 65 हजार रुपये दिए थे। इसके बाद डॉक्टर मनीष कुमार और तकनीशियन विनय कुमार ट्रेन में ऑक्सीजन के दो सिलेंडर लेकर चढ़े थे। कुछ देर बाद दोनों अपनी-अपनी बर्थ पर चादर ओढ़ कर सो गए।उन्हें जगाया तो बोले ऑक्सीजन कम हो रही है और सिलेंडर मंगाने होंगे। इसके लिए उन्होंने आठ हजार रुपये और लिए। कानपुर में सिलेंडर आता उससे पहले ही उन दोनों की लापरवाही के कारण बच्चे की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद भी नया सिलेंडर मंगाकर उसे ऑक्सीजन लगा दी।टूंडला उतरने पर जब रेलवे के डॉक्टरों ने बेटे को मृत घोषित कर दिया तो उन्होंने जीआरपी को मामले की जानकारी दी। इसके बाद पुलिस ने डॉक्टर और तकनीशियन को हिरासत में ले लिया। हालांकि, इंस्पेक्टर जीआरपी ने इससे इनकार किया है। उन्होंने तहरीर मिलने की बात स्वीकार की है।