नईदिल्ली, २६ जुलाई [एजेंसी]।
समझा जाता है कि केंद्र सरकार की कैबिनेट ने एक विधेयक को मंजूरी दे दी है जो उस अध्यादेश का स्थान लेगा जो दिल्ली में ग्रुप-ए के अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर के अधिकार को अमल में लाने का अधिकरण बनाता है। सूत्रों के अनुसार इस अधिनियम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार की शाम केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी है।दिल्ली अध्यादेश के स्थान पर इसे लागू करने के लिए इस विधेयक को मौजूदा मानसून सत्र में ही पेश किए जाने की उम्मीद है। जब संसद सत्र शुरू नहीं हुआ था तब केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने दिल्ली अध्यादेश को लागू किया था। ऐसे में अगले संसद सत्र से पहले यह जरूरी हो जाता है कि संसद उस अध्यादेश के लागू होने के छह हफ्ते के अंदर एक कानून को अंगीकार करे।विवादास्पद दिल्ली अध्यादेश को केंद्र सरकार ने 19 मई को लागू किया था। केंद्र का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के पुलिस, पब्लिक आर्डर और भूमि संबंधी मामले निर्वाचित सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल को सौंपने के एक हफ्ते बाद आया था। इस अध्यादेश से डानिक्स कैडर के ग्रुप-ए के अफसरों के ट्रांसफर और अनुशासनात्मक कार्रवाई का जिम्मा गठित किए जाने वाले ‘नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथारिटी’ को मिलता। 11 मई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले दिल्ली सरकार के सभी अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामले पूरी तरह से उप राज्यपाल के अधीन थे।केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने विभिन्न अवसरों पर सदन से गायब रहने वाले 23 भाजपा सदस्यों को फटकार लगाई है। साथ ही, भाजपा सदस्यों को निर्देशित किया है कि वह सत्र के दौरान उच्च सदन में हर समय उपस्थित रहे। खाना खाने के लिए भी केवल लंच ब्रेक में बाहर जाएं।पीयूष गोयल ने इन सभी भाजपा सदस्यों को अपने आफिस में बुलाकर फटकारते हुए कहा कि कार्यवाही के दौरान सदन से नदारद रहने का कोई बहाना नहीं सुना जाएगा। उल्लेखनीय है कि मानसून सत्र के दौरान केंद्र की मोदी सरकार को दिल्ली सरकार को अधिकार समेत कई महत्वपूर्ण विधेयक उच्च सदन में पारित कराने हैं। इसलिए सरकार राज्यसभा में हमेशा पूरी ताकत के साथ उपस्थित रहना चाहती है।