नईदिल्ली, २५ अक्टूबर।
स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता के लिए दिल्ली मेट्रो के महिला कोच में लगे एक विज्ञापन पर विवाद हो गया। बता दें कि स्तन कैंसर जागरूकता माह के मद्देनजर यह विज्ञापन लगाया गया था।कई लोगों ने इसे इंटरनेट मीडिया पर इसे पोस्ट कर विज्ञापन में स्तन कैंसर की जल्दी पहचान के लिए इस्तेमाल प्रतीकात्मक फोटो और उस पर लिखे संदेश को आपत्तिजनक बताते हुए सवाल उठाए। साथ ही जागरूकता के लिए अपनाए गए इस तरीके को गलत बताया। इसके मद्देनजर दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के निर्देश पर विवादित विज्ञापन को मेट्रो से बुधवार देर शाम ही हटा लिया गया। वहीं मेट्रो में यह विज्ञापन लगाने वाले यूवीकैन फाउंडेशन ने विरोध को रूढि़वादी बताते हुए अपनी पहल का बचाव किया है। विज्ञापन में बस सफर में सफर करती एक महिला को संतरे लिए हुए दिखाया गया था और आपत्तिजनक स्लोगन लिखा गया था। यूवीकैन फाउंडेशन की मुख्य सलाहकार और ट्रस्टी पूनम नंदा ने कहा कि वह खुद इस बीमारी से दो बार पीडि़त रह चुकी हैं। दो बार का कैंसर सर्वाइवर होने के नाते स्तन कैंसर जागरूकता अभियान में इस्तेमाल रूपांतरण का समर्थन करती हैं। क्योंकि भारत में स्तन के विषय पर खुलेआम चर्चा संवेदनशील हो सकता है। रचनात्मक दृश्य स्वास्थ्य के संदर्भ में संवाद शुरू करने में मदद करते हैं। भारत में स्तन के सीधा चर्चा संवेदनशील हो सकता है।
दुनिया के कई देशों में स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता अभियान में बीमारी की जल्दी पहचान को बढ़ावा देने के लिए इस तरह कई दूसरे दृश्य इस्तेमाल किए गए हैं।जिससे इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद मिली। यूवीकैन फाउंडेशन ने तीन लाख महिलाओं को जागरूक किया है और डेढ़ लाख महिलाओं की स्क्रीनिंग कराई है। डीएमआरसी ने कहा कि एक ही मेट्रो ट्रेन में यह विज्ञापन लगाया गया था।विज्ञापन लगाने वाले कांट्रेक्टर से बात कर इसे हटा दिया गया है। डीएमआरसी लोगों की भावनाओं के प्रति सजग रहने का हमेशा प्रयास करता है और ऐसे किसी विज्ञापन को प्रोत्साहित नहीं करता जो किसी की भावनाओं को आहत करें।