
नईदिल्ली, 0८ अगस्त । लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक पास हो जाने के बाद आप के प्रति दिल्ली कांग्रेस के नेताओं का भरोसा फिर से डगमगाने लगा है। उन्हें संदेह है कि आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल आईएनडीआईए गठबंधन में भी बने रहेंगे या नहीं। आप और कांग्रेस के बीच सियासी गठबंधन को भी अभी दूर की कौड़ी ही बताया जा रहा है। पूर्व सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने जागरण से बातचीत में कहा, केजरीवाल जिस विधेयक के मुददे पर समर्थन जुटाने के लिए गठबंधन का हिस्सा बने थे, वह अब खत्म हो गया है। दूसरे राहुल गांधी की संसद सदस्यता चले जाने के बाद उन्हें लग रहा था कि वह आईएनडीआईए में नंबर एक का पद प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन राहुल गांधी की संसद सदस्यता फिर से बहाल हो जाने के बाद उनका कद विपक्षी गठबंधन में फिर सबसे ऊंचा हो गया है और केजरीवाल का कद छोटा हो गया है। ऐसे में अब लगता नहीं कि वह लंबे वक्त तक गठबंधन में बने रहेंगे। मुझे पूरी उम्मीद है कि केजरीवाल इससे अलग होने के बहाने ढूंढना शुरू कर देंगे। वहीं पूर्व सांसद और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जेपी अग्रवाल ने फिर से दोहराया है कि कांग्रेस का समर्थन विधेयक के प्रति था, आप के प्रति नहीं। उन्होंने कहा, कांग्रेस ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक पर स्टैंड इसलिए लिया क्योंकि वह पहले से ही इस मुददे पर केंद्र सरकार का विरोध करती रही है। कांग्रेस का शुरू से ही कहना और मानना रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश होने के बावजूद दिल्ली सरकार को अधिक अधिकार मिलने चाहिए। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी या अरविंद केजरीवाल को समर्थन देने की बात कभी नहीं कही। जहां तक आप और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन की बात है तो उसे लेकर भी अभी कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी। इस पर समय आने पर ही तस्वीर साफ हो पाएगी। शीला सरकार में मंत्री वह चुके अरविंद सिंह लवली ने भी कमोबेश ऐसी ही प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि, अरविंद केजरीवाल पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता है। इसलिए भविष्य में ऊंट किस करवट बैठेगा, अभी कुछ भी कह पाना मुश्किल है। रही बात गठबंधन की तो पार्टी ने हमसे इस विषय में अभी तक कोई चर्चा नहीं की है। हमसे केवल विधेयक के मुददे पर राय मांगी गई थी, उस पर हमने अपनी राय दे दी थी।