नईदिल्ली, 0२ दिसम्बर ।
भारत ही नहीं पूरी दुनिया साइबर फ्रॉड की चपेट में है। वैश्विक रूप से साइबर अटैक में वर्ष 2024 की पहली तिमाही में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 76 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। कंबोडिया, म्यांमार, लाओस, चीन, रूस और ईरान साइबर फ्रॉड के पनाहगाह बनते जा रहे हैं। विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साइबर फ्रॉड को पूरी तरह से नहीं रोका जा सकता है।
साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग की जरूरत महसूस की जा रही है। तभी भारत यूरोपीय यूनियन के साथ साइबर सहयोग पर संवाद कर रहा है। हालांकि अलग-अलग देश साइबर फ्रॉड व अपराध को रोकने के लिए खास कानून बना रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में चंद रोज पहले ही साइबर सुरक्षा के नए कानून को मंजूरी दी गई है तो अमेरिका भी अलग से साइबर सुरक्षा के लिए जल्द ही कानून लाने जा रहा है। पिछले साल साइबर फ्रॉड से अमेरिका को 12.5 अरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सरकार का इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय पिछले साल डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) एक्ट लेकर तो आ गया लेकिन अब तक इसे अमल में नहीं लाया जा सका है। विशेषज्ञों का मानना है कि डीपीडीपी एक्ट के लागू होने पर साइबर फ्रॉड खासकर व्यक्तिगत रूप से होने वाले फ्रॉड को रोकने में मदद मिलेगी। डीपीडीपी एक्ट में किसी भी व्यक्ति के डिजिटल डाटा को बेचना या किसी और को देना आसान नहीं रह जाएगा। व्यक्ति की रजामंदी से ही किसी के डिजिटल डाटा को कहीं और पर इस्तेमाल के लिए दिया जा सकेगा।
व्यक्ति को यह जानने का हक होगा कि उसका डाटा किसी संस्था को कहां से प्राप्त हुआ। इससे फायदा यह होगा कि पहले से अगर आपका डाटा किसी कंपनी के पास है तो वह उसके इस्तेमाल या किसी और देने से पहले आपसे पूछेगा। कानून तोडऩे वालों पर करोड़ों में जुर्माना लगाया जाएगा। जानकारों का कहना है कि साइबर फ्रॉड के लिए डाटा सबसे महत्वपूर्ण हथियार है। बैंक कर्मचारियों की तरफ से खाताधारकों के डाटा को जालसाज के हाथ बेचने के कई मामले सामने आ चुके हैं। डाटा मिलने से जालसाज को उस व्यक्ति की महत्वपूर्ण जानकारी मिल जाती है और उसके साथ धोखा करना आसान हो जाता है। अभी ई-कामर्स कंपनी या इंटरमीडिएरिज के पास बड़े पैमाने पर लोगों का डाटा होता है और उस डाटा का कैसे इस्तेमाल हो रहा है, इसकी कोई जानकारी नहीं होती है।
डीपीडीपी के अमल में आने पर डाटा इस्तेमाल सीमित हो जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय इन दिनों साइबर सुरक्षा को लेकर फ्रेमवर्क तैयार करने में जुटा हुआ है। नेटवर्क एंड सिस्टम सिक्युरिटी, डिजिटल फोरेनसिक, इनक्रिप्शन एंड क्रिप्टोग्राफी, ऑटोमेशन इन साइबर सिक्युरिटी, साइबर सिक्योरिटी ऑडिट्स एंड इनसिडेंट रिस्पांस जैसे सेक्टर में अनुसंधान करने व प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए प्रस्ताव मंगाए गए हैं ताकि साइबर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।