नईदिल्ली, १९ अक्टूबर ।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत चल रही जांच में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की गुप्त गतिविधियों का चौंकाने वाला खुलासा किया है। सामाजिक एजेंडे का मुखौटा ओढ़े हुए, पीएफआई पर कई स्तरों वाली साजिश, हथियार प्रशिक्षण, आतंकी फंडिंग और देश-विदेश में हिंसा भडक़ाने का आरोप है। जांच में पता चला कि पीएफआई की खाड़ी देशों में व्यापक मौजूदगी है, जिसमें 13,000 से अधिक सक्रिय सदस्य हैं, जिनमें कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई शामिल हैं. पीएफआई ने प्रवासी मुस्लिम समुदाय के लिए जिला कार्यकारी समितियां बनाई थीं, जिनका उद्देश्य करोड़ों रुपये जुटाना था। ये फंड कानूनी बैंकिंग और अवैध हवाला चैनलों के माध्यम से भारत में भेजे जाते थे, ताकि पीएफआई की अवैध गतिविधियों को चलाया जा सके और स्रोत को छिपाया जा सके। जहां पीएफआई खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत करता था, वहीं ईडी की जांच ने इसके वास्तविक एजेंडे का पर्दाफाश किया। इसका मकसद था हिंसक जिहाद के जरिए से भारत में अशांति फैलाना और देश को अस्थिर करना। जांच में यह भी सामने आया है कि पीएफआई ने अवैध फंड का उपयोग कई गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया। इनमें हाल ही कुछ सालों में हुई घटनाएं भी शामिल हैं।