
चाहकर भी हासिल नहीं हुआ राजस्व लक्ष्य
कोरबा। खनिज संपदा के दोहन को लेकर सरकार की ओर से मिलने वाली पर्यावरणीय स्वीकृति का राज्य सरकार के राजकोष पर भी काफी असर पड़ता है। एसईसीएल की एक परियोजना के मामले में स्वीकृत नहीं मिलने के कारण इस वर्ष कोरबा जिले में खनिज विभाग का राजस्व लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। निर्धारित लक्ष्य का पीछा करने के बावजूद विभाग 19फीसदी पीछे रह गया। राज्य सरकार को इस तथ्य से अवगत करा दिया गया है।
छत्तीसगढ़ के लिए सर्वाधिक खनिज राजस्व अर्जित करने वाले जिले में कोरबा की गिनती होती है। जिला गठन के पहले यह बिलासपुर को खुश होने का मौका देता रहा जबकि पृथक जिला बनने के बाद कोरबा ने राजस्व अर्जन करने के मामले में रिकॉर्ड बनाएं। खनिज विभाग के उप संचालक प्रमोद नायक ने बताया कि वित्त वर्ष 2023 24 में खनिज विभाग को 3300 करोड़ का राजस्व अर्जित करने का लक्ष्य हासिल हुआ था लेकिन उसने 2700 करोड़ की रकम ही रॉयल्टी से अर्जित कर सका। जबकि इसके 1 वर्ष पहले कोरबा जिले ने निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 144 फ़ीसदी राजस्व अर्जित किया था।
पिछले वित्त वर्ष में निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले केवल 81त्न का लक्ष्य खनिज विभाग अर्जित कर सका और 19फीसदी पीछे रह गया। विभाग के अधिकारी ने तकनीकी के आधार पर इसे स्पष्ट किया और बताया कि एसईसीएल की विस्तारित परियोजना का आकलन करते हुए सरकार ने हमें बड़ा हुआ लक्ष्य दिया था। नई परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिलने के कारण इसका असर हमारे राजस्व पर पड़ा है।
कोरबा जिले में खनिज विभाग के द्वारा इस वर्ष जो राजस्व अर्जित किया गया है उसमें 60 लख रुपए की राशि अवैध खनन और परिवहन से जुड़ी हुई कार्रवाई की है। विभाग ने अनेक स्थानों पर 363 मामलों में संबंधित व्यक्तियों पर पेनल्टी की कार्रवाई की। अधिकारी ने बताया कि इस प्रकार के मामलों की रोकथाम के लिए जिला स्तर पर टास्क फोर्स बनाई गई है जो अपना काम कर रही है।
लंबे समय के लिए उपलब्ध है कोयला का भंडार
प्रकृति ने खनिज संपदा के मामले में कोरबा जिले को एक प्रकार से वरदान दिया हुआ है। यहां पर बहुत बड़े विभाग में कोयला का विशाल भंडार उपलब्ध है जिसका दोहन पिछले 7 दशक से निरंतर किया जा रहा है। जानकारों ने बताया कि अगले कई दशक तक कोयला का दोहन होने की पूरी संभावनाएं मौजूद हैं इसलिए कल इंडिया कोरबा जिले में सर्वेक्षण के साथ नई खदानों को शुरू कर रहा है और पुरानी खदानों का विस्तार करने पर भी जुटा हुआ है। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की कोरबा गेवरा कुष्मांडा दीपिका जैसी बड़ी माइंस कंपनी के कुल लक्ष्य का 60 फीसदी कोयला उत्पादित कर रही हैं और यहां से मिलने वाली रॉयल्टी खनिज विभाग को मजबूत करने में अपनी भूमिका निभा रही है। देश के बड़े हिस्से में उद्योगों को चलाने से लेकर वहां बिजली की पूर्ति करने के लिए कोयला सबसे बड़ा जरिया बना हुआ है और इसकी पूर्ति के लिए कोरबा जिले की खदानों पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। खनिज विभाग का मानना है कि अगर कोरबा जिले से संबंधित सीसीएल की परियोजना के मामले में लंबित पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त होती है तो आगे खनिज दोहन से उसे और ज्यादा रॉयल्टी मिलने का रास्ता प्रशांत हो जाएगा।