
कोरबा। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान, ध्यान और पूजन की परंपरा के साक्षी बने हसदेव सहित जिले की नदियों और सरोवर के पवित्र घाट। अवसर था हिंदू कैलेंडर के कार्तिक पूर्णिमा का। आशा से कहीं ज्यादा लोगों की संख्या यहां पर सनातन परंपरा का निर्वहन करने के लिए पहुंची थी, वह भी ठंड की परवाह किए बिना। दीपदान से नदियों और सरोवरों के तट रौशनी से नहा उठे। आज रात देव दीपावली की खुशियां धरती के साथ अम्बर तक बिखरेंगीं।
देश की बड़ी नदियों में चली आ रही देव दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान की परंपरा ने विस्तार लिया है। औद्योगिक तीर्थ कोरबा इस श्रृंखला में शामिल हुआ। समय के साथ सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के दौर में कोरबा क्षेत्र के नागरिक कदमताल कर रहे हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर इस बार हसदेव के साथ-साथ अहिरन, सोन, तान और लीलागर नदियों में ही नहीं बल्कि तालाबों और जलाशयों में पुण्य स्नान को लेकर काफी उत्साह नजर आया। हिंदू समुदाय से जुड़े बच्चों से लेकर उम्रदराजों की उपस्थिति ने यह जताने का प्रयास किया कि परंपराओं को जीवंत रखने के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है। मौसम के अलावा दूसरी बाधाएं इस मामले में आड़े नहीं आ सकती और न ही लोगों के कदम रूक सकते। सुबह 4 बजे से पहले ही इन स्थानों पर लोगों की उपस्थिति दर्ज हुई, जिन्होंने स्नान करने के साथ नदी व जलाशयों को फल, फूल और तिल अर्पित किया। द्रव्य भी यहां प्रवाहित किया गया। पुण्य भाव से जलतत्व की आरती करते हुए प्रकृति की उदारता और मानव कल्याण के लिए कामना की गई। लोगों ने यहां पर एक-दूसरे को कार्तिक पर्व की शुभकामनाएं दी।
हवन-पूजन हुआ सुबह, शाम को महाआरती
आज सुबह हसदेव नदी के किनारे नमामि हसदेव संगठन के द्वारा हवन-पूजन किया गया। संबंधित लोग इसमें शामिल हुए। शाम 5 बजे के बाद यहां महाआरती होना है। इसके लिए बड़ी तैयारी की गई है। पिछले वर्ष जुटी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने आज हसदेव नदी तक तरफ जाने वाले मार्ग को डायवर्ट किया है।