बुराईयों का उन्मूलन करने की है क्षमता साहित्य में
कोरबा। साहित्यकार और राष्ट्रीय कवि संगम के लिए अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही गायत्री शर्मा ने कहा है कि साहित्य का क्षेत्र अपनी विशेषताओं के कारण विशिष्ट है। समय के साथ इस क्षेत्र में नई प्रतिभाओं का पदार्पण हो रहा है। उनमें आगे बढ़ाने की पर्याप्त संभावनाएं दिखाई देती हैं।
लंबे समय से साहित्य सृजन में जुटी गायत्री ने एक चर्चा में यह बात कही। अनेक मंचों पर कविता पाठ के साथ सम्मान प्राप्त करने वाली इस साहित्यकार ने कहा कि शुरू से ही साहित्य की भूमिका समाज को दर्पण दिखाने की रही है। समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार की बुराइयों और कुरीतियों को काफी हद तक मिटाने की क्षमता साहित्य में है। साहित्य से जुड़ी कई पीढियां ने अपनी भूमिका से इस बात को साबित किया है और कई अवधारणाओं को स्थापित भी किया है।
उन्होंने कहा की समय के साथ कई प्रकार के परिवर्तन हर क्षेत्र में हो रहे हैं और साहित्य भी इसे अछूता नहीं है लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि सार्थक दिशा में साहित्य को आगे बढ़ाने की लगातार कोशिश हो रही है। इसमें संप्रेषण की क्षमता तो है ही, बहुत बड़े वर्ग को सही रास्ता दिखाने और चीजों को सही करने की ताकत भी है। वस्तुत: सकारात्मक रूप से आने वाला विचार और इसी परिपेक्ष में किए जाने वाले काम हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं और नवीन प्रेरणा का संचार भी करते हैं। ललित कलाओं को समर्पित संगठन संस्कार भारती के लिए अलग-अलग भूमिका निभा चुकी गायत्री ने कहा की अखिल भारतीय स्तर पर कई प्रकार के परिवर्तन सज्जन शक्ति के सामूहिक रूप से उठ खड़े होने के कारण संभव हुए हैं और लगातार इनमें बढ़ोतरी होना सुखद संकेत है।