
सूरजपुर। पहली से दसवीं तक के विद्यार्थियों को नि:शुल्क पुस्तके मुहैया कराने पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा सूरजपुर जिले में भेजी गई नई पुस्तकों को कबाड़ में बेचे जाने के मामले की जांच में जहां एक ओर कई चौकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मामले की जांच में लीपापोती के आरोप भी लग रहे हैं। जांच में मिले तथ्यों की जानकारी देने में जिम्मेदार अधिकारी टालमटोल कर रहे हैं। राज्य स्तर पर मामला संज्ञान में आने के बाद मामले की प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी की पुष्टि होने पर डीईओ द्वारा गोदाम प्रभारी व दो कार्यालय सहायकों को निलंबित भी किया जा चुका है।
विगत दिनों रायपुर के सिलियारी स्थित रियल बोर्ड पेपर मिल में पकड़ी गई पाठ्य पुस्तक निगम की नई पुस्तको की जांच में पता चला था कि शशिकांत ट्रेडर्स ग्राम वीरपुर जिला सूरजपुर नामक फर्म द्वारा सुरजपुर जिले की 40 क्विंटल नई पुस्तके कबाड़ में बेची गई है। इस आशय की जानकारी मिलते ही कलेक्टर रोहित व्यास के निर्देश पर एसडीएम जगन्नाथ वर्मा ने शिक्षा विभाग के पुस्तक गोदाम की जांच की और उन्होंने प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी पाते हुए कलेक्टर को जांच प्रतिवेदन सौप दिया था। उसके बाद कलेक्टर ने संयुक्त कलेक्टर नर्रेंद्र पैकरा के नेतृव में पांच सदस्यीय टीम गठित कर पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए थे। इधर शिक्षा विभाग के सूरजपुर जिला मुख्यालय स्थित पुस्तक गोदाम में स्टाक का भौतिक सत्यापन भी पूर्ण कर लिए जाने और इसकी जानकारी रायपुर भेज दिए जाने की बात कही जा रही है। उसके बावजूद संबन्धित अधिकारी जानकारी देने में टालमटोल कर रहे है। पड़ताल में पाया गया कि जिलेभर में संचालित शासकीय स्कूलों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं की दर्ज संख्या से तकरीबन दोगुनी पुस्तकों की डिमांड सुनियोजित साजिश के तहत पाठ्य पुस्तक निगम को भेजी गई थी और वहां से दर्ज संख्या से काफी अधिक पुस्तकें यहां मंगाई गई थी। अब अधिक आई पुस्तको को वापस पाठ्य पुस्तक निगम को भेजे जाने की तैयारी होने की अपुष्ट जानकारी मिली है। मजे की बात तो ये है कि नवीन सत्र काफी पहले शुरू हो चुका है। निजी विद्यालयों में अभी तक पूरी पुस्तको की आपूर्ति नही सकी है। जांच के दौरान पता चला है कि निजी स्कूलों में आपूर्ति की जाने वाली पुस्तके अभी तक बड़ी मात्रा में शिक्षा विभाग के गोदाम में ही पड़ी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नवीन सत्र में निजी स्कूल के विद्यार्थी बिना पुस्तक कैसे पढ़ाई कर रहे होंगे। वही जिले में 336 निजी स्कूल का संचालन होना शासकीय दस्तावेजो में दर्ज है, जबकि दर्जनों निजी स्कूलों का संचालन सिर्फ कागजों में हो रहा है और आरटीई के जरिये तथाकथित निजी स्कूल संचालक संबन्धित अधिकारियों की सांठगांठ से शासन को करोड़ो की चपत लगा रहे है। इस आशय की उच्चस्तरीय जांच से चौकाने वाले तथ्य उजागर होंगे। इधर पड़ताल में मिले तथ्यों से स्पष्ट हुआ है कि रायपुर के रियल बोर्ड पेपर मिल में कबाड़ में बेची गई नई पुस्तको का वजन चार टन के बजाय करीब 16 टन था। जिसकी पुष्टि संबन्धित $फर्म शशिकांत ट्रेडर्स के दो ई वे बिल से होती है। दो ट्रक नई पुस्तके कबाड़ में बेचे जाने की पुष्टि हो रही है। एक ट्रक के जरिए 8120 किलो और एक अन्य ट्रक के जरिए 7870 किलो नई पुस्तकें कबाड़ में बेची गयी है। ऐसे में जांच कार्रवाईपर भी सवालिया निशान लगना स्वाभाविक है। जांच अधिकारी संयुक्त कलेक्टर नर्रेंद्र पैकरा का मोबाइल बन्द रहने व डीईओ रामललित पटेल का मोबाइल आउट आफ कवरेज रहने की वजह से उक्त मामले में उनका पक्ष नही लिया जा सका। गंभीर मामले में जांच के नाम पर लीपापोती का आरोप लगने से राज्य सरकार की भूमिका पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है। मामला बड़े घोटाले का है। मामले की सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए। सूरजपुर जिले में संचालित निजी स्कूलों का भौतिक सत्यापन करने के साथ ही दर्ज संख्या की निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिए। आखिर दर्ज संख्या से तकरीबन दोगुना पुस्तकें क्यो मंगाई गई, यह जांच का अहम पहलू है। मामले की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।