कोरबा। नगरी निकाय और पंचायत चुनाव के माध्यम से शहरी व ग्रामीण संस्थाओं को अगले 5 वर्ष के लिए नए प्रतिनिधि प्राप्त होंगे। इन चुनाव ने हजारों हाथों को बेहतर काम दे दिया है और उनकी कमाई के अवसर बढ़ा दिए हैं।
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्याशियों ने अपने वादे और इरादों को लोगों के पास पहुंचने के लिए हिंदी और छत्तीसगढ़ी भाषा के गीतों को सबसे अच्छा माध्यम समझा है। लोगों के मन में जगह बना सके, इस प्रकार के गीतों को महत्व दिया गया है। सस्ती दर और सहूलियत के साथ इस प्रकार के गीत गली मोहल्लों और आसपास के क्षेत्र में उपलब्ध रचनाकारों तैयार किए हैं और उन्हें आवाज देने वाले भी सहज तरीके से प्राप्त हो गए हैं। सुबह से रात तक डीजे और लाउडस्पीकर में प्रत्याशियों को वोट देने के अलावा उनकी अच्छाइयों को बताने वाले यह गीत बज रहे हैं। प्रत्याशियों के लिए गीत लिखने और गाने वालों ने बताया कि इस चुनाव ने उन्हें काफी कुछ दिया है और इसलिए वे फिलहाल कहीं की भी यात्रा पर जाने को तैयार नहीं है।
दूसरे नंबर पर कैटरर्स के साथ-साथ होटल कारोबारी है जिनके पास इस चुनावी सीजन में भारी व्यस्तता है। चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों के लिए खर्च की सीमा तय की है और उन्हें दिए जाने वाले सामानों की अनुमानित कीमत भी तय की है। दोनों स्तर पर इसका तोड़ निकाला गया है और इस हिसाब से प्रत्याशियों की जरूरत की पूर्ति की जा रही है। कारोबार करने वालों ने बताया कि उनके पास जो लोग काम कर रहे हैं। उन्हें इस मौसम में अतिरिक्त और इसी हिसाब से रुपए दिए जा रहे हैं।। यही नहीं, प्रत्याशियों की गली मोहल्ले में निकलने वाली रैली भी वैसी नहीं है जैसा कि समझा जा रहा है। पता चला है कि प्रमुख राजनीतिक दल के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशी अपनी रेलिया में ज्यादा दम दिखने के लिए भीड़ का सहारा लेने को मजबूर है। भीड़ का हिस्सा बने और अपने हाथ में किसी का भी झंडा थामने को तैयार रहने के लिए ऐसे लोगों को 200 और ?300 कुछ घंटे के लिए मिल रहे हैं। ऐसा आकलन किया जा रहा है कि पर्याप्त क्षमता का उपयोग करने वाले लोग इस चुनाव में केवल रैली में शामिल होने और अपनी उपयोगिता तय करते हुए 5 से 10000 कमा सकते हैं।