जांजगीर चांपा। निजी स्कूलों में बच्चों का प्रवेश महंगा हो गया है, जिसके चलते मध्यम वर्ग के लोगों को सर्वाधिक परेशानी होती है। प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना पालकों को अब काफी ने महंगा पड़ रहा है। कापी पुस्तकों के दामों में भी लगातार वृद्धि हो रही है। इसे लेकर जिम्मेदार विभाग को कोई सरोकार नहीं रहता है।
गौरतलब है कि 26 जून से नए शिक्षा सत्र की शुरूआत होने जा रही है। इसके साथ ही निजी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश दिलाने का काम चल रहा है। बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा दिलाना अब आम आदमी के बस की बात नहीं रह गई है। हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम के साथ सीबीएसई विषय की पढ़ाई कराने वाले स्कूलों में जो फीस ली जाती है, वह मध्यम वर्ग के लोगों के लिए आसान नहीं रह जाता। ऐसे में उनके घरों का बजट भी प्रभावित होता है। सामान्य स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की फीस और पाठ्य पुस्तक की सामग्री के साथ स्कूल ड्रेस, जूता, मोजा, टाई, बैच, बेल्ट, स्कूल बैग, पानी बॉटल आदि सामानों की खरीदी करने में पालकों को महंगी फीस चुकानी पड़ती है। इसके साथ ही वाहन का खर्च अलग से रहता है। ऊपर से यदि पालक बड़े प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना चाहे, तो उसके चार से छह महीने का मिलना वाला वेतन भी कम पड़ सकता है। इधर निजी स्कूलों के संचालकों ने हर साल की तरह इस बार भी एडमिशन फीस एवं अन्य फीसों में बढ़ोतरी की है। साथ ही स्कूल ड्रेस, स्टेशनरी सामान आदि का खर्चा अलग से लगता है।
बढ़ते प्रतिस्पर्धा के दौर में आज कोई पालक अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाना चाहता है। हिन्दी मीडियम, अंग्रेजी मीडियम एवं सीबीएसई पाठयक्रम संचालित करने वाले स्कलों का अपना अलग ही महत्व है। ऐसे स्थिति में फीस का मापदंड भी सुविधा और स्टेटस के अनुसार तय किया जाता है। सामान्य प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी से क्लास टू तक के बच्चों की एडमिशन फीस 12 से 14 हजार रुपए है, तो वहीं बड़े प्राइवेट स्कूलों में 35 से 47 हजार रुपए तक की फीस ली जाती है। इसी तरह क्लास 3 से क्लास 5 तक सामान्य स्कूलों में 15 से 18 हजार रुपए तक फीस वसूली ली जाती है। तो बड़े स्कूलों में 30 हजार से 40 हजार रुपए तक फीस ली जाती है। इसी तरह मीडिल स्कूल में 20 से 25 हजार रुपए तक की फीस ली जाती है, तो उनसे बड़े निजी स्कूल में मीडिल स्कूल की फीस 55 से 65 हजार रुपए तक होती है। ऐसे पालकों के बच्चों को निजी स्कूलों के 25 प्रतिशत आरक्षित सीट पर नि:शुल्क भर्ती लिया जाना रहता है। बावजूद इसके नियम, कानून को ताक में रखकर निजी स्कूल के संचालक ऐसे गरीब बच्चों को अपने स्कूल में प्रवेश नहीं देते है, जबकि इसके लिए शासन द्वारा प्रति बच्चे 7 से 8 हजार रुपए निजी स्कूल के संचालकों को दिए जाते है।
दिए है दिशा निर्देश-निजी स्कूलों में फीस को लेकर दिशा निर्देश जारी किया गया है। फीस बढ़ाने जाने के संबंध में स्कूल प्रबंधन द्वारा बनाई गई समिति से अनुमोदन जरूरी है। शिक्षा के अधिकार के तहत 25 प्रतिशत आरक्षित सीट पर गरीब बच्चों को एडमिशन दिया जाता है।
-अश्वनी भारद्वाज, जिला शिक्षा अधिकारी
जांजगीर-चांपा