
जांजगीर । जिला अस्पताल में इन दिनों हर ओर केवल साफ-सफाई से लेकर व्यवस्था को सुचारु रूप से अंजाम देने की कवायद ही नजर आ रही है।
अस्पताल पहुंचने वाले मरीज और परिजन भी ये देखकर समझ नहीं पा रहे हैं कि अचानक साफ-सफाई से लेकर रंग-रोंगन और तामझाम क्यों हो रहा है। दरअसल, ये सब कायाकल्प की टीम को दिखाने के लिए हो रहा है। एक दिन बाद जिला अस्पताल में व्यस्थाओं का जायजा लेने के लिए कायाकल्प की टीम पहुंचने वाली है। 30 या 31 अक्टूबर को टीम यहां पहुंच सकती है। इसलिए अस्पताल प्रबंधन इन दिनों केवल अस्पताल को साफ-सथुरा बनाने से लेकर सब इंतजाम को परफेक्ट दिखाने में लगा हुआ है ताकि कहीं कोई कमी टीम को नजर न आ जाए। गौरतलब है कि शासन के द्वारा कायाकल्प योजना चलाई जा रही है। इसमें सभी सरकारी अस्पतालों को शामिल होना पड़ता है। यह एक तरह से स्पर्धा की तरह है। इसमें एक टीम अस्पतालों में पहुंचती है और अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं का मुआयना करती है। उसी आधार पर नंबर दिए जाते हैं। तीन चरण में टीम पहुंचती है। पहले चरण में अंतर जिला, फिर राज्यीय और अंत में सेंट्रल की टीम पहुंचती है। सबसे अधिक नंबर मिलने वाले अस्पताल को बेहतर अस्पताल का तमगा मिलता है। साथ ही 50 लाख रुपए तक राशि भी मिलती है। हर साल कायाकल्प की तरह ऐस होता है। इसी कड़ी में इस साल भी कायाकल्प को लेकर रेस शुरु हो चुकी है। पहले चरण को लेकर अंतर जिला टीम जिला अस्पताल में आने वाली है।
अब तक सांत्वना पुरस्कार से मिला
कायाकल्प को लेकर जिला अस्पताल पिछले चार-पांच सालों से हिस्सा लेते आ रहा है लेकिन अब तक हर बार अस्पताल प्रबंधन को सांत्वना पुरस्कार ही संतुष्ट रहना पड़ा है। हालांकि पिछले साल जिला और स्टेट की टीम के सामने जिला का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा था। 75 से ज्यादा अंक भी मिले थे पर सेंट्रल स्तर पर कमाल नहीं दिखा पाए। ऐसे में इस बार अस्पताल प्रबंधन कोई कोर कसर नहीं छोडऩा चाह रहा है।
मेंटनेंस और रंगाई-पुताई का चल रहा काम
अस्पताल परिसर में इन दिनों रंगाई-पुताई का काम चल रहा है। इसके अलावा साफ-सफाई पर विशेष जोर दिया जा रहा है। गाईनिंग से लेकर वार्डो को व्यवस्थित करने आदि काम चल रहे हैं।
ये बन सकते हैं रोड़ा….
हालांकि जिला अस्पताल में पहले की तुलना में इस बार कई नई तरह की सुविधाएं बढ़ी है। फिजियोथैरेपी, फेफड़े की जांच के लिए पल्मोनरी मशीन, ओपीडी पर्ची काउंटर का नया स्वरूप आदि उजाड़ पड़े गार्डन को सीएसआर मद से कायाकल्प कराया जा रहा है फिर भी कई कमियां है जो कायाकल्प के इनाम में रोड़ा बन सकते हैं। बंद ऑक्सीजन प्लांट, हमर लैब, आईसोलेशन वार्ड, टू्र नॉट लैब की नई बिल्डिंग बनने के बाद भी शुरु नहीं होना, सिटी स्कैन सेंटर का अस्पताल परिसर से बाहर होना, बेड की समस्या आदि काम अभी भी अधूरे पड़े हैं जिनके चलते नंबर कट सकते हैं।
कायाकल्प की टीम 30 या 31 अक्टूबर को आ सकती है। इसके लिए तैयारियां की जा रही है। यह पहला चरण है। बेहतर प्रदर्शन के हिसाब से तैयारी कर रहे हैं। जो भी कमियां है उसे दूर करने प्रयासरत हैं।
एके जगत, सिविल सर्जन