लखनऊ, २१ जुलाई [एजेंसी]।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत अगर निजी स्कूल गरीब परिवार के बच्चों को प्रवेश नहीं देंगे तो उन्हें माध्यमिक स्तर की मान्यता नहीं मिल पाएगी। कक्षा आठ तक के इन निजी स्कूलों को केंद्रीय बोर्डों सीबीएसई व सीआईएससीई से कक्षा नौ से कक्षा 12 तक की मान्यता तभी दी जाती है, जब बेसिक शिक्षा विभाग उन्हें एनओसी देता है। ऐसे में एनओसी न मिलने के कारण यह इन बोर्डों से माध्यमिक स्तर की मान्यता नहीं ले सकेंगे। वहीं दूसरी ओर ऐसे निजी स्कूल भी चिह्नित किए जा रहे हैं जिन्होंने पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार कम बच्चों को दाखिला दिया है। ऐसे स्कूलों को नोटिस जारी किए जा रही है। प्रदेश में शैक्षिक सत्र 2023-24 में 44 हजार निजी स्कूलों में 4.10 लाख सीटों पर तीन चरण की लाटरी प्रक्रिया में 2.78 लाख बच्चों ने आवेदन किया और जांच के बाद 1.30 लाख बच्चों को सीटें आवंटित की गई हैं। अभी प्रवेश की प्रक्रिया जारी है। पिछले वर्ष 82 हजार दाखिले हुए थे। अबकी यह संख्या बढ़ाने पर जोर है।ऐसे में बेसिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव की ओर से सभी निजी स्कूलों को सख्त चेतावनी दी गई है कि वह आरटीई के तहत गरीब परिवार के बच्चों को नि:शुल्क दाखिला दें। ऐसा नहीं करेंगे तो उनकी कक्षा आठ तक की मान्यता भी वापस ली जाएगी। निजी स्कूलों का किसी भी तरह का बहाना नहीं चलेगा। अभिभावकों को भी सतर्क किया गया है कि बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा चयनित विद्यार्थियों की सूची में अगर उनके बच्चे का नाम है तो उसे दाखिला देना ही होगा। निजी स्कूल बेसिक शिक्षा विभाग से विद्यार्थियों की सूची न मिलने, आनलाइन लिस्ट में नाम न होने, अभिभावकों से अनावश्यक अभिलेख मांगने और विद्यार्थियों का घर जाकर भौतिक सत्यापन करने के बहाने दाखिला लेने से नहीं रोक सकते। यह सब अधिकार उन्हें नहीं है। वह सिर्फ बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा दी गई सूची से बच्चे की पुष्टि के लिए सिर्फ अभिलेखों का मिलान ही कर सकते हैं। फिलहाल निजी स्कूलों पर शिकंजा कस दिया गया है।