ग्रेटर नोएडा। नगर पंचायत डासना के चेयरमैन मुजाहिद हुसैन बनकर उन्हीं की जमीन बेचने का प्रयास करने वाले भू-माफिया गिरोह का बिसरख पुलिस ने पर्दाफाश किया है। आरोपितों ने चेयरमैन के आधार, पैन, समेत अन्य फर्जी कागजात उन्हीं के नाम से बनवा कर फोटो दूसरे व्यक्ति की लगवा कर 95 करोड़ में बेचने की तैयारी में थे। चेयरमैन की शिकायत पर पुलिस ने तीन आरोपितों को धर लिया। आरोपित जमीन के आधार पर 200 करोड़ लोन लेने की फिराक में थे। डीसीपी शक्तिमोहन अवस्थी वर्तमान में बिसरख कोतवाली क्षेत्र के ग्राम शाहबेरी निवासी मुजाहिद हुसैन मूलरूप से गाजियाबाद के डासना कस्बा के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुजाहिद हुसैन नगर पंचायत डासना के चेयरमैन हैं। ग्राम शाहबेरी में उनकी 2.009 हेक्टेयर जमीन है। चेयरमैन ने 28 फरवरी 2025 को बिसरख कोतवाली में फर्जीवाड़ा कर उनकी जमीन बेचने का प्रयास किए जाने की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने जांच की तो पता चला कि जालसाज वर्ष 2023 से उनकी जमीन बेचने की तैयारी में थे। पुलिस टीम ने मंगलवार को राकेश कुमार, सिराजुद्दीन और महेंद्र कुमार पटवारी को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि जालसाजों ने मेरठ के दरौला थाना अंतर्गत बलोदपुर निवासी सिराजुद्दीन जो कि निरक्षर है, को चेयरमैन बनाया। जाली आधार, पैन, किसान बही में नाम पता चेयरमैन मुजाहिद हुसैन का दर्ज कराया, जबकि फोटो सिराजुद्दीन की लगा रखी थी। गिरोह का सरगना हरियाणा के जिला पानीपत अंतर्गत थाना इसराना के ब्राह्मण माजरा निवासी राकेश कुमार है।डीसीपी ने बताया गिरोह का सदस्य बुलंदशहर के अगौता थाना अंतर्गत ग्राम अजीतपुर निवासी महेंद्र कुमार पटवारी 10वीं तक पढ़ा है। वही फर्जी कागजात बनवाता था। इस मामले में भी उसने बुलंदशहर के एक साइबर कैफे से कंप्यूटर एडिटिंग से चेयरमैन के नाम से जाली आधार, पैन व जोत बही आदि बनवाए थे।
आरोपित कैफे संचालक का पता लगाया जा रहा है। जल्द ही उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।पुलिस का कहना है कि अभी तक की जांच में सामने आया है कि राकेश, समेत गिरोह के अन्य सदस्य दिल्ली के हनुमंत नामक होटल में करीब डेढ़ माह से डेरा डाले थे। इस दौरान जमीन के सौदे के लिए दिल्ली की कई पार्टियों से मीटिंग भी हो चुकी थी। डीसीपी के मुताबिक, गिरोह उक्त जमीन को 95 करोड़ में बेचने की साजिश दो वर्ष से रच रहे थे। इस जमीन के आधार पर पटियाला कोर्ट में सिराजुद्दीन के नाम पर 200 करोड़ का लोन मंजूर कराने की फिराक में थे। इसके लिए यश बैंक में तीन खाते भी खुलवाए गए थे। महेंद्र पटवारी का दादरी तहसील में आना जाना था, जिससे वह तहसील से संबंधित जमीन के फर्जी कागजात जल्द तैयार करा देता था।