शिवरीनारायण। नौपता की गर्मी बढऩे के साथ ही सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं। टमाटर और फूल गोभी का भाव 50 रुपए किलो पहुंचने से मध्यम वर्गीय परिवार का बजट बिगडऩे लगा है। लोग अब कम मात्रा में सब्जी की खरीदारी कर रहे हैं। पिछले सप्ताह तापमान 45 डिग्री पार होते ही बाजार में सब्जियों के दाम बढऩे लगे। संचालक इसका कारण ओवरहीट से सब्जी की फसल को हो रहे नुकसान को बता रहे हैं। एक सप्ताह में सब्जियों के दाम में खासी वृद्धि हुई है, जो टमाटर 30 रुपए किलो के आसपास बिक रहा था। सोमवार को उसका भाव 50 रुपए पर पहुंच गया है। आलू और प्याज के भाव में बढ़ोतरी हुई है।
आलू 35 रुपए किलो और प्याज 30 रुपए के भाव में बिक रहा है। लहसुन 200 रुपए किलो बिक रहा है। एक महीने पहले 60 रुपए किलो बिकने वाला नींबू अब तेज गर्मी पडऩे के कारण 120 रुपए किलो बिकने लगा है। इसी तरह 50 रुपए किलो बिक रहा परवल व शिमला मिर्च अब 70 से 80 रुपए किलो हो गया है। सब्जी व्यापारियों का कहना है कि गर्मी में लोकल आवक कम होने से अब पड़ोसी राज्य ओडिशा, बैगलुरू, नागपुर समेत अन्य राज्यों से हाइब्रिड सब्जियां पहुंच रही है। लंबी दूरी के कारण वाहन चालकों ने भाड़ा बढ़ा दिया है। इसका प्रभाव सब्जियों के दाम पर पडा है। वर्तमान में लोग नौपता में सेहत को नुकसान न पहुंचे व बीमार न हो इसको लेकर मसालेदार सब्जी न खाकर हरी सब्जी खा रहे है। इससे बाजार में हरी सब्जी की डिमांड ज्यादा है।
सलाद भी थाली से बाहर
तेज धूप खिलने से व्यापारियों ने सलाद में उपयोग आने वाले सभी सब्जियों दाम बढ़ा दिए है। इससे सब्जियों के दाम के साथ ही चुकन्दर 60 रुपए किलो मिल रहा है। वही 12 दिन पहले गाजर बाजार में अधिक मात्रा में पहुंचने के कारण 30-40 रुपए बिक रहा था। जिसका सीजन अब खत्म होने का है। इसके चलते सोमवार को बाजार में गाजर 50 व खीरा 40 रुपए किलो मिल रहा था।
सब्जी अब फलों के दाम के बराबर
इस साल आम की अच्छी फसल होने से लोगों को 100 रुपए में किलो भाव के अंदर हर किस्म के आम मिल रहे हैं। वर्षा की पहली फौहार पडऩे पर इसके दाम में और गिरावट होने की संभावना है। इसके अलावा बाजार में केला 50 रुपए दर्जन, अंगूर 80 रुपए किलो, तरबूज 50 से 100 रुपए और खरबूज 50 रुपए किलो भाव में बिक रहा है। सब्जी अब फलों के दाम के बराबर में बिक रहा है।
आगे राहत की उम्मीद कम
अब मानसून करीब है और कभी भी बारिश हो सकती है। ऐसे में आगे राहत मिलने की उम्मीद कम है। बारिश होने के बाद लोकल किसान सब्जी की खेती की जगह धान की फसल लेने में व्यस्त हो जाएंगे। इससे लोगों को बाहरी सब्जियों के भरोसे ही रहना पड़ेगा। ऐसे में तीन-चार महीने सब्जियों के दाम में नरमी के आसार कम ही है।