चंडीगढ़, २८ सितम्बर । पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि फीस जमा न करवाने की स्थिति में शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों के शैक्षणिक दस्तावेजों को नहीं रोक सकता है। हाईकोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ ही होशियारपुर के सरकारी कॉलेज की दो छात्राओं का परीक्षा परिणाम और दस्तावेजों को जारी करने का पंजाब यूनिवर्सिटी को आदेश दिया है।दरअसल, हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में मीना कुमारी व बलजीत कौर ने एडवोकेट यज्ञ दीप के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया था कि वह दोनों होशियारपुर के सरकारी कॉलेज में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के तहत पढ़ रही थी। इसी बीच उनका परीक्षा परिणाम, डीएमसी और डिग्री पंजाब यूनिवर्सिटी ने रोक ली। इसको रोकने के लिए कारण फीस जमा न करवाना बताया गया।याची ने कहा कि पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप के तहत पढऩे वाले विद्यार्थियों को फीस जमा नहीं करवानी पड़ती है। फीस का भुगतान शिक्षण संस्थान करता है और इस राशि को सरकार से प्राप्त करता है। ऐसे में याचिकाकर्ताओं का परिणाम व शैक्षणिक दस्तावेजों को रोकना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। पंजाब सरकार ने भी याचिका का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने पीयू को पत्र लिखते हुए इस पूरी स्थिति से अवगत करवाया था लेकिन पीयू ने कोई कार्रवाई नहीं की जो गलत है।हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी छात्र के प्रमाण पत्र उसकी व्यक्तिगत संपत्ति हैं और कोई भी संस्थान/व्यक्ति इसे अपने पास नहीं रख सकता है। यदि किसी छात्र का कुछ बकाया है, तो वसूली सुनिश्चित करने के लिए कानून के तहत प्रदान किए गए साधनों का सहारा लिया जा सकता है। याचिकाकर्ता पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के तहत पढ़ रही थीं और ऐसे में फीस उन्हें नहीं बल्कि संस्थान को जमा करवानी थी। ऐसे में उनका परिणाम रोकना व शैक्षणिक दस्तावेज अपने पास रखने का शिक्षण संस्थान को कोई अधिकार नहीं है।