कोरबा। मिनी इंडिया के नाम से पहचाने जाने वाले कोरबा जिले में आने वाले दिन उन बेरोजगारों के लिए बेहतर हो सकते हैं जिन्होंने औद्योगिक स्तर पर दक्षता हासिल की है और अब तक काम की तलाश में यहां-वहां भटक रहे हैं। जिले के पब्लिक सेक्टर्स से इस बारे में जानकारी मांगे जाने के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। श्रम और उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन के द्वारा कोरबा जिले में संचालित सभी पीएसयू से अगले पांच दिन में इस बारे में जानकारी मांगी है।
कोरबा जिले में नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड और इंडियन ऑयल कार्पोरेशन जैसे संस्थान पीएसयू के तौर पर काम कर रहे हैं। मौजूदा मामला इनसे ही जुड़ा हुआ है। अलग-अलग श्रेणी के कई काम प्रबंधन ने आउट सोर्सिंग पर दे रखे हैं। इसी को लेकर कई मौकों पर विवाद खड़ा होता रहा है कि जिले के बेरोजगारों को काम देने के बजाय दूसरे राज्यों को महत्व दिया गया है। भाजपा सरकार आने के बाद इस मामले में समाधान खोजने के लिए काम किया जा रहा है। पब्लिक सेक्टर से जानकारी मांगी गई है उसने अपने यहां स्थानीयों को कितना महत्व दिया है, इस बारे में अपडेट किया जाए। माना जा रहा है कि सही जानकारी आने के साथ जिले के बेरोजगारों को काम देने का रास्ता खुलेगा। नियमत: ऐसे संस्थानों में 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को काम देने का प्रावधान है। दूसरी ओर लेबर सप्लाई के काम से जुड़े हुए लोग संकेत मिलने के बाद अपने स्तर पर सक्रिय हो गए हैं। वे इसी बहाने अपनी संभावनाओं पर बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं। इसलिए इस मामले में की गई पहल ऐसे लोगों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है।