यहां से वहां चक्कर लगाकर परेशान लोग लौटे घर
कोरबा। सरकारी तंत्र भले ही इस बात को न माने लेकिन यह सच्चाई है कि खासतौर पर कोरबा शहरी क्षेत्र में निकाय चुनाव में कम वोटिंग के पीछे तंत्र की ही गलतियां रही है। निगम चुनाव से पहले वार्डों के नए सिरे से परिसीमन किए जाने के बाद लोगों की आपत्तियां हासिए पर कर दी गई। दूसरी ओर चुनाव का वक्त आया तो मनमाने ढंग से पोलिंग बूथ बदल दिए। यहां-वहां भटक रहे मतदाताओं ने वोटिंग में अरूचि दिखाई। कम वोटिंग के लिए यह जिम्मेदार कारण माना जा रहा है।
कोरबा निगम के 67 वार्डों में संपूर्ण मतदान 64 फीसदी के आसपास रहा है। पिछले पांच चुनावों में यह सबसे कम आंकड़ा दर्ज की गई है। अनुकूल मौसम होने पर वोटिंग का आंकड़ा कम होने से प्रत्याशी और उनके समर्थक परेशान हैं। इसके पीछे अब समीक्षा का दौर शुरू हो गया है। वहीं दो दिन बाद होने वाली मतगणना को लेकर अटकलें लगाई जा रही है कि ऊंट किसके पक्ष में करवट लेने वाला है। इन सबसे अलग हटकर राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं का मानना है कि निगम क्षेत्र के अनेक वार्डों में मतदाता उत्साह के साथ निकले जरूर लेकिन उनकी पूरी संख्या वोट नहीं कर सकी। कारण बताया गया कि एक तो पहले ही वार्डों के परिसीमन को गैर तकनीकी तरीके से कर दिया गया। दूसरी प्रक्रियाओं की तरह इस मामले में दावा आपत्ति आमंत्रित की गई। सभी क्षेत्रों से लोगों ने वार्डों के परिसीमन के मामले में अपनी ओर से आवेदन देकर आपत्ति की और निराकरण करने को कहा लेकिन इसे कचरा समझकर फेंक दिया गया। और तो और मतदान की बारी आई तो लोगों को इस मामले में भी जबरजस्त परेशान किया गया। मतदाताओं को वोट डालने के दौरान 3 से 4 जगह चक्कर लगाने पड़े तब कहीं जाकर उनका काम पूरा हो सका। इसी प्रक्रिया में हजारों मतदाता दुष्वारियां झेलने के बाद वोटिंग के मामले में निरुत्साहित हो गए। माना जा रहा है कि इस चक्कर में कई प्रत्याशियों का गणित गड़बड़ा गया है।

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