
कोरबा। जिले के कटघोरा वनमंडल में हाथियों का आतंक कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। यहां के पसान रेंज में पड़ोसी जीपीएम जिले के मरवाही परिक्षेत्र से अचानक धमके त्रिदेव हाथियों में आधी रात को रेंज के पलामू (कुम्हरी दर्री) गांव में भारी कहर ढाते हुए आधा दर्जन ग्रामीणों के मकान को ध्वस्त कर दिया। वहीं एक ग्रामीण के बाड़ी में पहुंच वहां लगे मकई की फसल को भी रौंद दिया। हाथियों का उत्पात यहां काफी देर तक चला। इस दौरान ग्रामीण हाथियों के डर से अपने-अपने घरों में दुबके रहे। हाथियों के उत्पात से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। सूचना मिलने पर वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी मौके पर पहुंचकर नुकसानी का आंकलन शुरू कर दिया है। इससे पहले हाथियों ने बलबहरा व तरईमार में उत्पात मचाते हुए फसलों को तहस-नहस कर दिया। जानकारी के अनुसार वनमंडल कटघोरा के केंदई रेंज में 47 हाथी पहले से मौजूद हैं और लगातार उत्पात मचा रहे हैं जिससे वन अमले के साथ-साथ क्षेत्रवासी परेशान हैं। मरवाही से पहुंचे हाथियों द्वारा आते ही उत्पात मचाए जाने से उनकी परेशानी और भी बढ़ गई है। हालांकि राहत की बात यह है कि केंदई व एतमानगर रेंज में अलग-अलग झुंडों में घूम रहे हाथी अब एक साथ एकत्रित हो गए हैं और केंदई रेंज के कापा नवापारा-कोयलारगडरा जंगल में डेरा डाल दिए हैं। जिससे हाथियों की निगरानी में आसानी हो रही है। मरवाही रेंज से धमक हाथियों ने पलामू गांव में जिन ग्रामीणों के मकान को निशाना बनाया उनके नाम क्रमश: सितंबर सिंह पिता गंंगा सिंह, दुर्गावती पति सुखनंदन, शिवनारायण, राजू सिंह पूता शिवनारायण्, अमर सिंह पिपता रामधन व रामप्रसाद बताए गए हें। इन लोगों ने परिवार समेत भागकर जान बचाई। जबकि इंदरसाय के बाड़ी में पहुंचकर हाथियों ने वहां लगे फसल को तहस-नहस कर दिया। इधर कोरबा कोरबा वनमंडल के कुदमुरा रेंज में भी हाथियों द्वारा फसल रौंदे जाने का सिलसिला जारी है। यहां के कलमीटिकरा गांव में 25 तथा 3 हाथी कुदमुरा बिट के धवन नाला जंगल में घूम रहे हैं। हाथियों ने दोनों ही स्थानों में ग्रामीणों के खेतों में पहुंचकर धान की फसल को तहस-नहस कर दिया है। संबंधित वन अमला मौके पर पहुंचकर नुकसानी का आंकलन करने में जुट गया है।
कोई खास परिणाम नहीं आ सके जिले में
लगभग दो दशक से कोरबा जिले के दो वन मंडल में हाथी उत्पात की समस्या कायम है। हाथियों के द्वारा की गई घटनाओं में पहुंचा। समस्या के समाधान के लिए सरकार के द्वारा अनेक विशेषज्ञों विशेषज्ञों की सेवाएं कराए गए। लंबे समय तक जन जागरण कराए जाने और तमाम तरह की कोशिश के बावजूद अब तक हाथी उन्मूलन को लेकर कोई खास सफलता अब तक नहीं मिल सकी है। फॉरेस्ट विभाग के द्वारा संबंधित क्षेत्र के लोगों को यही सलाह दी जा रही है कि वह अनावश्यक उन इलाकों में जाने से बच्चे जहां पर हाथियों की उपस्थिति है। ऐसी स्थिति में लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि वे अब अपना काम करने के लिए कौन से क्षेत्र का सहारा लें।